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पुष्पगिरि तीर्थ पर एक और मंदिर बनेगा:जो किसी जैन भगवान का नहीं वरन तरुणसागरजी का हाेगा

 

साेनकच्छ. मंगल कलश की स्थापना करते गणाचार्य पुष्पदंतसागरजी। - Dainik Bhaskar
साेनकच्छ. मंगल कलश की स्थापना करते गणाचार्य पुष्पदंतसागरजी।

तरुणसागरजी पहले ऐसे भारतीय दिगंबर जैन संत थे, जिन्होंने देश नहीं पूरे विश्व को जैनत्व की पहचान दी है। भगवान महावीर के संदेश को घर-घर पहुंचाया है। आज वे हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके तृतीय तरुण स्मरण पर्व पर यही कहूंगा कि आज भी उनकी लिखी व कही बातें मानव समाज में एक क्रांतिकारी कदम है। आज उनके स्मरण में रखा गया शांतिनाथ विधान आपके मन का संविधान लिखता है। आने वाले समय में पुष्पगिरि तीर्थ पर एक और मंदिर बनेगा, जो किसी जैन भगवान का नहीं वरन तरुणसागरजी का बनेगा। यह बात आचार्य तरुणसागरजी महाराज के समाधि दिवस पर बुधवार को पुष्पगिरि तीर्थ पर आयोजित कार्यक्रम में गणाचार्य पुष्पदंतसागरजी ने उपस्थित भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कही। संस्कार प्रणेता मुनि सौरभसागरजी ने कहा कि जिन्होंने अपने जीवन के साथ समाधि को भी उत्सव के रूप में मनाया वे संत थे तरुणसागरजी। उन्होंने अपने जीवन में कई आयाम हासिल किए। उनके कड़वे वचन जीवनभर मिठास का कार्य करते रहेंगे। पर्वसागरजी महाराज और पुष्पदंतसागरजी के आशीर्वाद व मार्गदर्शन में मानव सेवा तीर्थ पुष्पगिरि सहित देश के 108 स्थानों पर आयोजन हुए। मुख्य आयोजन मानवसेवा तीर्थ पुष्पगिरि पर हुआ। तरुणसागरजी की 11 इंच की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा गणाचार्य के करकमलों से सौरभसागरजी व पर्वसागरजी के साथ सैकड़ों गुरु भक्तों के बीच कार्यक्रम अंतर्गत हुई। प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के समय गणाचार्य ने घोषणा की कि जिसे बनाने का शुभ अवसर तरुण क्रांति मंच गुरुपरिवार भारत प्राप्त करेगा।

प्रवक्ता रोमिल जैन ने बताया कि तरुणसागरजी के चित्र के समक्ष भक्तों ने दीप प्रज्वलित किए। इसके बाद शांतिनाथ मंडल विधान की संगीतमय पूजा की गई। विधान की मांगलिक क्रियाएं पंडित संदीप शास्त्री ने की। तरुणसागरजी की भी पूजा व आरती की गई। कार्यक्रम में सोनकच्छ, जावर, भोपाल, देवास, इंदौर, आगरा, फिरोजाबाद, सीहोर, पुणे, अहमदाबाद, देहरादून, दिल्ली सहित कई स्थानों के गुरु भक्त शामिल हुए।

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