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विघ्नहर्ता के दरबार में लगेगा भक्तों का तांता:मध्यप्रदेश के चार मशहूर गणेश मंदिरों की कहानी, जहां प्रदेश ही नहीं देशभर से मन्नत लेकर आते हैं भक्त

 

बेहट के ऐतिहासिक झिलमिलेश्वर शिव मंदिर में तानसेन को आवाज मिली, वहीं गणेश मंदिर परिसर में वे संगीत का रियाज करते थे। - Dainik Bhaskar
बेहट के ऐतिहासिक झिलमिलेश्वर शिव मंदिर में तानसेन को आवाज मिली, वहीं गणेश मंदिर परिसर में वे संगीत का रियाज करते थे।

ग्वालियर का गणेश मंदिर: इसी मंदिर में तानसेन का हकलाना दूर हुआ था, यहीं बैठकर उन्होंने ‘श्रीगणेश स्तोत्र’ की रचना की

‘उठि प्रभात सुमिरियै, जै श्री गणेश देवा , माता जा की पार्वती पिता महादेवा।’ गणेश चतुर्थी पर कई सदियों से घरों में गाई जाने वाली ये वंदना संगीत सम्राट तानसेन की देन है। मान्यता है कि संगीत सम्राट तानसेन ने बेहट में स्थित शिवालय व गणेश मंदिर में बैठकर ही ‘श्रीगणेश स्तोत्र’ की रचना की थी। बेहट के ऐतिहासिक झिलमिलेश्वर शिव मंदिर में तानसेन को आवाज मिली, वहीं गणेश मंदिर परिसर में वे संगीत का रियाज करते थे। ग्वालियर से 55 किमी दूर तानसेन की जन्म स्थली बेहट के ऐतिहासिक गणेश मंदिर की रोचक कहानी है। बचपन में हकलाने वाले तानसेन को उनके पिता बेहट के शिवालय के बगल में बने गणेश मंदिर में दर्शन के लिए लाए थे। मंदिर के पुजारी संजीव शर्मा के अनुसार उनके पुरखे व ग्रामीणों की मान्यता है कि यहीं गणेश जी के आशीर्वाद से तानसेन की हकलाहट दूर हुई थी और उन्हें मधुर आवाज का आशीर्वाद मिला।

उज्जैन के चिंतामण गणेश : यहां पाती के लगन लिखाने और विवाह की अनूठी परंपरा, बिना मुहूर्त के कराई जाती है शादी

उज्जैन के चिंतामण गणेश मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में हुआ। यहां पाती के लगन लिखाने और विवाह कराने की अनूठी परंपरा है। मान्यता है कि जिन के लगन नहीं निकल रहे, उनके विवाह बिना मुहूर्त के यहां कराए जाते हैं। जिनके विवाह में बाधा आती है, वे यहां मन्नत मांगते हैं, साथ ही विवाह तय हो जाने पर परिसर में फेरे लेते हैं। विवाह के आयोजन के पहले श्रद्धालु निर्विघ्न विवाह के लिए चिंतामण गणेश को मना कर घर ले जाते हैं। विवाह हो जाने पर वर-वधु को आशीर्वाद दिलाने लाते हैं तथा चिंतामणजी की पूजा-आराधना कर कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रतिमाएं हैं- चिंतामण, इच्छामण और सिद्धि विनायक। माना जाता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण यहां आए थे। उन्होंने यहां तीन प्रतिमाओं की स्थापना की थी। यहां विवाह करने के लिए हर साल 300 से ज्यादा जोड़े पहुंचते हैं।

सीहोर के चिंतामण सिद्ध गणेश : विक्रमादित्य के शासनकाल में प्रतिमा की स्थापना, श्रीयंत्र के कोणों पर स्थित है गणेश मंदिर

सीहोर में चिंतामण सिद्ध गणेश में प्रतिमा आधी जमीन में धंसी है। मंदिर में स्थापित प्रतिमा को लेकर दो मान्यताएं हैं। पहली यह है कि प्रतिमा की स्थापना राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में हुई थी। कहा जाता है विक्रमादित्य अपने देखे गए स्वप्न के आधार पर पार्वती नदी से प्राप्त कमल पुष्प को रथ पर लेकर जा रहे थे। रास्ते में रथ का पहिया जमीन में धंस गया और उस कमल से गणेश की यह प्रतिमा प्रकट होने लगी। विक्रमादित्य उसे निकालने का प्रयास कर रहे थे, पर वह जमीन में धंसने लगी। इसके बाद उन्होंने प्रतिमा यही स्थापित कर दी। दूसरी मान्यता के अनुसार अपने साम्राज्य का विस्तार करने निकले पेशवा बाजीराव सीहोर पहुंचे तो यहां पार्वती उफान पर थी। लोगों ने बताया कि यहां गणेशजी स्वयं विराजमान हैं। उनकी आराधना करेंं तो उफान उतर जाएगा। उन्होंने प्रार्थना की तो ऐसा ही हुआ। उनके निर्देशानुसार यहां मंदिर का विस्तार कराया गया।। मंदिर श्रीयंत्र के कोणों पर स्थित है। तब इस कस्बे का नाम सिद्धपुर था।

इंदौर के खजराना गणेश : बावड़ी से निकली गणेश प्रतिमा, राजबाड़ा ले जाने की कोशिशें हुईं, लेकिन टस से मस नहीं हुए बप्पा

इंदौर के खजराना मंदिर की गणेश प्रतिमा पास ही एक बावड़ी में मिली थी। मंदिर का जीर्णोद्धार 1735 में शुरू हुआ। तत्कालीन होलकर घराने की इच्छा थी कि प्रतिमा को राजबाड़ा लेकर आएं और यहां मंदिर बनाकर स्थापित करें। इसके लिए कोशिशें शुरू हुईं, लेकिन गणेश प्रतिमा टस से मस नहीं हुई। अंतत: इसे भगवान की इच्छा मानकर वहीं मंदिर बनाने का निर्णय हुआ। आज भी बावड़ी उसी स्वरूप में परिसर में मौजूद है। मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्‌ट बताते हैं कि यह प्रतिमा परमारकालीन है। गणेशजी के लिए 65 किलो चांदी का यह सिंहासन जयपुर में बनाया जा रहा है। गणेश चतुर्थी पर खासतौर पर मोतियों का चोला चढ़ाया जाएगा। चार किलो सोने से बने स्वर्ण आभूषण भगवान गणेशजी, रिद्धि-सिद्धि और लाभ-शुभ को पहनाए जाएंगे। मंदिर में हर महीने करीब 40 लाख रुपए चढ़ावा आता है। यहां के अन्न क्षेत्र में हर दिन 1800 लोग नि:शुल्क भोजन करते हैं।

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