यूरोप में कोविड -19 की दूसरी लहर के शिखर पर नवंबर 2020 में डेनमार्क सरकार ने बताया कि वायरस का नया स्वरूप खेतों में रहने वाले खरगोश जैसे छोटे जानवर-मिंक में पाया गया है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में वेटरनरी साइंटिस्ट क्लेयर ब्रायंट और उनकी टीम उस समय बिल्ली, कुत्ते, भालू, मिंक सहित अन्य मांसाहारी जानवरों की शारीरिक रचना का अध्ययन कर रहे थे। उनका सोच था कि मिंक से वायरस का नया स्ट्रेन फैल सकता है। इसके बाद डेनमार्क की सरकार ने लाखों मिंक खत्म कर दिए थे।
मानवों में पशुओं से फैलने वाली बीमारियों के प्रमुख स्रोत मांसाहारी जानवर हैं। इस श्रेणी में आने वाले लगभग आधे जानवरों में एक या उससे अधिक वायरस, बैक्टीरिया होते हैं जो मनुष्यों में फैल सकते हैं। सैल रिपोर्ट्स में प्रकाशित डा, ब्रायंट के शोधपत्र में इसका कारण बताया गया है। पशुओं से मानवों में बीमारियां उस समय फैलती हैं जब को वायरस को रूप बदलने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इंफेक्शन होते ही शरीर का प्रतिरोध तंत्र हमलावर वायरस को नष्ट करने में सक्षम प्रोटीन बनाता है।
डॉ. ब्रायंट ने पाया कि मांसाहारी पशुओं में यह मशीनरी टूट जाती है। वायरस, बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिरोध तंत्र काम नहीं करता है। शोधकर्ताओं ने केवल कुत्तों में वायरस के स्वरूप में बदलाव को देखा। ऐसे परिवर्तन बिल्लियों, ऊदबिलाव और भालुओं सहित अन्य मांसाहारी जानवरों में भी पाए गए। इन पशुओं में वायरस से स्वयं के बचाव की अतिरिक्त क्षमता होती है लेकिन ये मनुष्यों में वायरस फैला सकते हैं। जिन पशुओं के आहार में प्रोटीन अधिक होती है, वे अपना बचाव कर लेते हैं। रिसर्च टीम का कहना है, मनुष्यों के साथ घर में रहने वाले पालतू मांसाहारियों से अधिक खतरा होने की संभावना नहीं है। ऐसे जानवर अगर झुंड में रहते हैं तो वायरस,बैक्टीरिया को स्वरूप बदलने के लिए अधिक बड़ा समूह मिल जाता है।
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