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उत्तम क्षमा धर्म का पूजन कर अभिषेक व शांतिधारा की:आराधना - पर्युषण पर्व का पहला दिन, शांतिनाथ मंदिर, आहू पार्श्वनाथ व मानतुंग गिरी तीर्थ पर हुए कार्यक्रम

धार. मानतुंग गिरी तीर्थ पर धार्मिक कार्यक्रम में शामिल लाभार्थी। - Dainik Bhaskar
धार. मानतुंग गिरी तीर्थ पर धार्मिक कार्यक्रम में शामिल लाभार्थी।

श्वेताबंर जैन समाज के पर्युषण पर्व के समापन के साथ शुक्रवार से दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व शुरू हुए। मानतुंग गिरी तीर्थ क्षेत्र पर आचार्य सुब्रत सागरजी महाराज एवं क्षुल्लिका चंद्रामति माताजी के सान्निध्य में पर्व के पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म का पूजन किया गया। शांतिधारा व अभिषेक भी हुए। जिसका समाजजन ने बाेली लगाकर लाभ लिया।

तीर्थ के महामंत्री संजय गंगवाल ने बताया शांतिधारा के लाभार्थी संजय कैलाशचंद्र गगवाल, किशोर कुमार जैन एवं साैधर्म इंद्र बनने का लाभ आरजे मेहता अहमदाबाद वालों को मिला। दस लक्षण मंडल विधान पर मंगल कलश स्थापना करने का साैभाग्य मीना गंगवाल, ममता गंगवाल व इंद्रा लुहाड़िया को प्राप्त हुआ। तीर्थ पर संगीतमय पूजन के साथ दस दिनी महापर्व पर समाजजन कार्यक्रमाें में भाग लेकर धर्म आराधना का लाभ ले रहे है।

श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में भी सुबह से शाम तक धार्मिक्र कार्यक्रम हुए। मंदिर में मानव कल्याण और विश्व में शांति के लिए अभिषेक व शांतिधारा की गई। इसका लाभ डॉ. भाकचंद गंगवाल, उत्तम काला, रोहित जैन को मिला। विधान में साैधर्म बनने का लाभ जिनेंद्र काला काे मिला। मंगल कलश की स्थापना चंदाबाई गंगवाल ने की।

आहू पार्श्वनाथ तीर्थ पर प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म का पूजन किया गया। शांतिधारा तुभ्यम प्रेरित जैन गंगवाल ने की। साैधर्म इंद्र शंभू झांझरी सोनकच्छ वाले बने। समाज के पारस आशीष गंगवाल ने बताया क्षमा का धारी तो वह है जिसे गालियां सुनकर भी क्रोध ना आए। क्रोध की उग्रता तो दूर मन में भी खेद तक उत्पन्न न हो तब तक वह क्षमा है।

प्रभु भक्ति का आयोजन रखा
इधर श्वेतांबर जैन समाज ने पर्युषण पर्व के अंतिम दिवस एमजी राेड स्थित पार्श्वनाथ जिनालय सहित 6 मंदिराें में संवत्सरी पर्व मनाया। संवत्सरी के दिन प्रतिक्रमण में चौरासी लाख जीवों से सामूहिक क्षमा-याचना की। इस दिन अधिकतर समाजजन ने उपवास, आयंबिल, एकासणा आदि तप किए। पर्युषण पर्व में लिशी रोहित नाहर ने गर्म जल के आठ उपवास की तपस्या की। तपस्या के निमित्त प्रभु भक्ति का आयोजन रखा गया। स्तवनों और नृत्य से सृजित भक्ति के रंग में सभी भक्ताें ने नृत्य किया।

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