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जैन मंदिरों में मना क्षमावाणी पर्व:समाजजनों ने एक-दूसरे से मिलकर मांगी क्षमा, तपस्वियों का भी किया सम्मान

 

नेमी नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में समाजजन। - Dainik Bhaskar
नेमी नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में समाजजन।

दिगंबर जैन समाज ने सोमवार को अलग-अलग जैन मंदिरों में क्षमावाणी का पर्व मनाया। नेमी नगर जैन कॉलोनी स्थित दिगंबर जैन मंदिर में शाम को क्षमावाणी का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। जिन्होंने एक-दूसरे से मिलकर क्षमा मांगी।

शाम को नेमी नगर जैन कॉलोनी स्थिति दिगंबर जैन मंदिर में क्षमावाणी के पर्व पर बड़ी संख्या में समाजजन एकत्रित हुए। यहां आयोजित क्षमावाणी पर्व और तपस्वी सम्मान आयोजन में समाजजन शामिल हुए। इस मौके पर प.पू आचार्य 108 डॉ. प्रणाम सागर महाराज ने कहा आज बहुत बड़ा पावन दिन है। क्षमा कार्ड देने से नहीं, बल्कि क्षमा दिल के भावों से होना चाहिए। क्षमा मोबाइल से नहीं, क्षमा चेहरे की स्माइल से होना चाहिए। उन्होंने कहा क्षमा करना वीरता है। क्षमा कर देने से मन शांत अवस्था में आ जाता है। क्षमा करना पराजय नहीं बल्कि विजय प्राप्त करना है। क्षमा प्रेम, स्नेह और आत्मियता का भाव पैदा करती है। जैन धर्म में दस लक्षण पर्युषण पर्व के बाद सामूहिक क्षमावाणी से आत्मा का शुद्धिकरण हो जाता है।

तपस्वियों का किया सम्मान

चतुर्मास समिति अध्यक्ष विमल गंगवाल, मंत्री कैलाश लुहाडिया ने बताया कि मंदिर में आयोजित इस आयोजन में वरिष्ठ समाजसेवी इंद्रकुमार सेठी, वीणा सेठी का उल्लेखनीय योगदान के लिए एवं 40 से ज्यादा तपस्वियों का सम्मान भी किया गया। आयोजन के दौरान मंदिर परिसर के साथ ही मंदिर के बाहर भी समाजजन उपस्थित रहे।

पूर्व मंत्री भी पहुंचेआचार्य का लिया आशी‌र्वाद

इस आयोजन में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी भी पहुंचे। जहां उन्होंने समाजजनों के बीच बैठकर आचार्य की बातों को सुना। जिसके बाद मंच पर पहुंचकर आचार्य को नमन कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही उन्होंने आचार्य से बिजलपुर और उनके घर आने का निवेदन भी किया। साथ ही मंच से ही सभी से क्षमा भी मांगी। इधर, समिति के पदाधिकारियों ने जीतू पटवारी का स्वागत भी किया।

मंदिर के बाहर एक-दूसरे से क्षमा मांगते समाजजन
मंदिर के बाहर एक-दूसरे से क्षमा मांगते समाजजन

एक दूसरे से हाथ जोड़कर मांगी क्षमा

आयोजन के समापन पर यहां मौजूद लोगों ने आचार्य के समक्ष शीश नमाकर उनसे क्षमा मांगी। जिसके बाद मंदिर के बाहर भी एक-दूसरे के हाथ जोड़कर सालभर में की गलतियों के लिए उत्तम क्षमा बोलकर क्षमा मांगी। वहीं उम्र में छोटे लोगों ने बड़ों के पैर छूकर तो, हम उम्र ने एक-दूसरे से गले मिलकर, तो कई लोगों ने दोनों हाथ जोड़कर क्षमा मांगी।

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