- नगरीय सीमा में कॉलोनियों को वैध या अवैध करने का अधिकार नगर निगम काे ही
शहर की उन अवैध कॉलोनियों के मामले में राहत मिलने की उम्मीद जागी है, जो छोटी-मोटी चूक के कारण अवैध की श्रेणी में चली गई। नगर निगम इन काॅलोनियों की फिर से जांच करेगा और जिनमें ज्यादा गड़बड़ियां नहीं हैं, उन्हें नियमित किया जाएगा। इस मामले में प्रशासन ने निगम को पूरी छूट देते हुए अभिमत-अनुमति की बाधाएं भी दूर कर दी हैं। यानी अवैध कॉलोनी के मामले में निगम कोई भी फैसला कर सकेगा।
इससे अनुमान है कि करीब एक हजार एकड़ वह जमीन क्लीयर होगी, जो दस्तावेजों की मामूली त्रुटियों के कारण अवैध कॉलोनी में शामिल हो गई। शहर में 460 के लगभग अवैध कॉलोनियां हैं, अनुमान है कि इसमें 100 के लगभग ऐसी कॉलोनियां होंगी, जिनमें सिर्फ दो-तीन एकड़ जमीन के ही पेंच हैं। इस मामले में कलेक्टर मनीष सिंह ने रविवार को निगमायुक्त प्रतिभा पाल को चिट्ठी लिखी और कहा कि निगम ही तय करे कि किस कॉलोनी को वैध करना है और किसमें यथास्थिति बनाकर रखना है।
निगम इन अवैध कॉलोनियों की जांच कर कुछ को भी क्लीयर करती है तो नियमितीकरण की बड़ी बाधा दूर होगी। अफसरों के मुताबिक, बड़ी धांधली जैसे ग्रीन बेल्ट या सरकारी भूमि पर बसाहट वाली कॉलोनियां 30-35% ही होंगी, बाकी में गड़बड़ी दूर कर नियमित कर सकते हैं। इसका फायदा 5 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
ग्रीन बेल्ट, सरकारी जमीन पर कब्जे वालों को राहत नहीं, कई और पेंच भी
अवैध कॉलोनियों के मामले में लोगों के अनुभव कड़ुवे हैं। तुलसी नगर के लिए विधायक महेंद्र हार्डिया से लेकर मंत्री तक के स्तर पर ऐलान हो गए, पर काॅलोनी नियमित नहीं हुई। हर चुनाव के पहले वादे हुए, लेकिन विकास शुल्क, एनओसी के मामले स्पष्ट नहीं होने से कॉलोनी अटकी रही। यही कारण है कि पिछले पांच-सात साल में निगम किसी भी कॉलाेनी को वैध नहीं कर सका है।
- 460 अवैध कॉलोनियां हैं शहर में।
- 20 इलाके, जिनमें सबसे ज्यादा बनी हैं ऐसी कॉलोनियां।
- 30 से अधिक कॉलोनियां हैं खजराना, चंदन नगर, सिरपुर, द्वारकापुरी, फूटी कोठी, एमआर-9 जैसे क्षेत्रों में।
- 101 कॉलोनियां ऐसी, जो ग्रीन बेल्ट, नदी सीमा, सरकारी भूमि पर बसी, जिन्हें वैध करना संभव नहीं है।
निगम को भेजी सूची का रिकॉर्ड कलेक्टोरेट में नहीं
कलेक्टोरेट से समय-समय पर अवैध कॉलोनी की सूची निगम को भेजी थी, उसे किस आधार पर अवैध घोषित किया, उसका रिकॉर्ड कलेक्टोरेट में है ही नहीं। सतही तौर पर जांच से ये अवैध हो गईं। इनकी पुन: जांच हो तो कई जगह राहत मिल सकती है। -मनीष सिंह, कलेक्टर
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