राजधानी में की जा रही फॉगिंग महज धुआं साबित हो रही है। शहर में पिछले चार महीने से की जा रही फाॅगिंग और छिड़काव पर अब तक डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुका है, लेकिन शहर में न तो मच्छर कम हुए और न डेंगू-चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या। उल्टा संक्रमण की रफ्तार ऐसी है कि शहर में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 550 और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या बढ़कर 100 के पार पहुंच गई है।
ये स्थिति तब है जबकि शहर में जिला मलेरिया कार्यालय, नगर निगम के साथ मिलकर विशेष अभियान चला रहा है। जिन 11 जोन के वार्डों में सर्वाधिक मरीज निकल रहे हैं, उन इलाकों में खासकर टीमें लगाकर फॉगिंग और छिड़काव किया जा रहा है। लेकिन, इस सबके बावजूद शहर में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
नियम यह कहता है
जहां मरीज मिलता है उसके आसपास के 50 घरों में फॉगिंग की जाती है। लेकिन बार-बार इन्हीं इलाकों में मरीज मिल रहे हैं। दिनभर में फॉगिंग और छिड़काव के लिए एक एएचओ के पास 10 से 12 कॉल पहुंचते हैं। यानी 19 एएचओ के हिसाब से यह आंकड़ा 200 पर पहुंचता है।
11 जोन में 60% मरीज
शहर में 60 प्रतिशत से ज्यादा मरीज तो 11 जोन में ही मिले हैं। जबकि, इन्हीं इलाकों में लगातार फॉगिंग की जा रही है। पिछले साल डेंगू के 74 और चिकनगुनिया के 32 मरीज थे। लेकिन इस बार मरीजों की संख्या कई गुना ज्यादा है। यानी संक्रमण की रफ्तार तेज है।
800 लीटर डीजल रोज फूंक रही 12 गाड़ियां
शहर में फॉगिंग का जिम्मा निगम को दिया गया है। इसके लिए 12 बड़ी मशीन के साथ-साथ प्रत्येक जोन में हाथ से चलने वाली एक मशीन भी दी गई है। इनको रोज 800 लीटर डीजल और 200-250 लीटर भी पेट्रोल दिया जाता है।
यहां फॉगिंग जारी- फिर भी अगस्त से मिल रहे मरीज
साकेत नगर, शक्ति नगर, बरखेड़ा पठानी, भेल टाउनशिप अवधपुरी, इंद्रपुरी, रत्नागिरी, सोनागिरी, अयोध्या नगर, विजय नगर, लालघाटी, बैरागढ़, कोटरा सुल्तानाबाद, नेहरू नगर यह कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां अगस्त से बार-बार मरीज मिल रहे हैं। जिला मलेरिया कार्यालय और नगर निगम का अमला यहां लगातार फॉगिंग कर रहा है।
- डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या भोपाल में दूसरे शहरों के मुकाबले बेहद कम है। यह स्थिति फॉगिंग और कीटनाशकों के छिड़काव के कारण ही है। यह कहना ठीक नहीं कि फॉगिंग और कीटनाशकों का छिड़काव उपयोगी साबित नहीं हो रहा है। - डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ
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