मंगलवार, 19 अक्टूबर और बुधवार, 20 अक्टूबर को अश्विन मास की अंतिम तिथि शरद पूर्णिमा है। इस साल पंचांग भेद की वजह से ये पूर्णिमा अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग दिन मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा से जुड़ी कई परंपराएं प्रचलित हैं, जैसे इस तिथि पर श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं, देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इसी वजह से जो लोग देवी की कृपा चाहते हैं, वे इस रात में लक्ष्मी जी का विशेष पूजन करते हैं। रातभर जागकर पूजा-पाठ की जाती है। लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए दीपक जलाए जाते हैं। इस रात में महालक्ष्मी के मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। इसके लिए कमल के गट्टे की माला से जाप करना चाहिए। महालक्ष्मी मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।
श्रीकृष्ण गोपियों संग रचाते हैं महारास
मथुरा के पास वृंदावन के निधिवन को लेकर मान्यता प्रसिद्ध है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण गोपियों संग रास करते हैं और शरद पूर्णिमा की रात श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं। इसी वजह से रात में निधिवन दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया जाता है। किसी भी इंसान को निधिवन में रुकने की इजाजत नहीं दी जाती है।
शरद पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें
हर माह की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने की परंपरा है। भगवान सत्यनारायण विष्णु जी का ही एक स्वरूप है। इनकी कथा सुनने का अर्थ ये है कि हमें जीवन में कभी भी असत्य का साथ नहीं देना चाहिए और कभी भी भगवान के प्रसाद का अनादर न करें। पूर्णिमा पर कथा सुनें और सत्य बोलने का संकल्प लें।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्र की रोशनी में खीर पकाएं और खाएं
शरद पूर्णिमा ऋतु परिवर्तन के समय आती है। ये समय वर्षा ऋतु खत्म होने का और शीत ऋतु शुरू होने का है। अब से मौसम में ठंडक बढ़ने लगेगा। शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करने का महत्व ये है कि अब शीत ऋतु शुरू हो गई है और हमें शरीर को गर्मी और ऊर्जा देने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। खीर में दूध, चावल, सूखे मेवे आदि पौष्टिक चीजें डाली डाती हैं, जो कि शरीर के लिए फायदेमंद होती हैं। इन चीजों की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हम मौसमी बीमारियों से बचे रहते हैं।
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