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दिवाली से पहले सोने से दमके बाजार:बैंकों के जरिये ही रोज 40 करोड़ का 50 किलो सोना बुलियन में और 40 किलो के जेवर मंगा रहे कारोबारी

 

बाजार के जानकारों के मुताबिक धनतेरस तक यही महौल बना रहेगा। - Dainik Bhaskar
बाजार के जानकारों के मुताबिक धनतेरस तक यही महौल बना रहेगा।

कोविड के बाद बिना प्रतिबंधों के मनाई जा रही दिवाली से पूर्व शहर के बाजार सोने से दमकने लगे हैं। त्योहार व इसके बाद विवाह मुहूर्त के चलते ज्वेलरी और बुलियन का कारोबार दोगुना हो गया है। इंदौर में बैंकों से आरटीजीएस के जरिए ही कारोबारी सोना बुलवा रहे हैं। बैंक अफसरों के मुताबिक बीते सात दिनों से हर दिन 50 किलो सोना बुलियन (सॉलिड) में और करीब 40 किलो गहने बुलाए जा रहे हैं।

इसके लिए कारोबारी हर दिन 40 करोड़ से ज्यादा का भुगतान आरटीजीएस से कर रहे हैं। बाजार के जानकारों के मुताबिक धनतेरस तक यही महौल बना रहेगा। इसके बाद शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। त्योहार से दिसंबर तक तीन माह में ही चार टन सोने की खपत की उम्मीद है। कोविड के पहले इंदौर में हर साल औसत सात से दस टन की खपत होती थी। इस बार इसमें 20% की बढ़ोतरी के आसार हैं।

बीमा के बाद सोना ही निवेश का सबसे बड़ा जरिया

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार 75% भारतीय बचत खाते में राशि रखते हैं। अधिक आय होने पर 59% बीमा कराते हैं। राशि बचने पर तीसरी प्राथमिकता सोना होता है। 38% भारतीय सोना जरूर खरीदते हैं।

सॉलिड सोने में निवेश ज्यादा

व्यापारी निर्मल वर्मा के अनुसार इस बार कारोबार अच्छा चल रहा है। लोग क्षमता अनुसार ज्वेलरी व सिक्का ले रहे हैं। एमजी रोड ज्वेलर्स एसो. के पारस वोहरा कहते हैं कि सोना पीक दाम से काफी नीचे है। निवेशक सॉलिड सोना अधिक ले रहे हैं।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में भी अच्छे संकेत

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि इस बार अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के दौरान भारत में सबसे ज्यादा सोने की खपत संभावित है। खपत 223 टन हो सकती है। बीते साल इस दौरान खपत केवल 186 टन थी।

इंदौर में अब डिजाइनिंग पर भी हो रहा बड़ा काम

कारोबारियों ने बताया कि अधिकांश ज्वेलरी मुंबई और कोलकाता से आती है, लेकिन अब इंदौर में ही हजारों कारीगर काम करने लगे हैं। हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद यह पहली दिवाली है। ऐसे में लोगों का ज्वेलरी खरीदी पर और अधिक भरोसा बढ़ गया है।

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