लोग अब नवजात को झाड़ियों में नहीं, शिशुगृह को सौंप रहे हैं या उसके पालने में डाल रहे हैं। पिछले सात माह में भोपाल सहित प्रदेश भर में 68 बच्चे पालने में डाले गए है। इनमें छह बच्चे भोपाल के हैं। शिशु गृहों के संचालकों ने बताया कि पालने में नवजात को छोड़ने वाली माताओं में कुछ नाबालिग हैं।
इसका बड़ा कारण, शादी के पहले मां बनने से बदनामी के डर से कुछ लड़कियां नवजात को शिशु गृह में छोड़ गईं। वर्ष 2015 से 2020 के बीच पूरे प्रदेश में 755 बच्चे झाड़ियों में पड़े मिले थे। नवजातों को झाड़ियों में फेंके जाने के मामले में मप्र देश में पहले नंबर पर था।
नवजात शिशु को झाड़ियों में न फेंका जाए, इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने आठ माह पहले पालना योजना शुरू की है। योजना जागरुकता अभियान के तहत शुरू की गई। भोपाल सहित प्रदेश में सभी शिशु घर में पालने रखे गए हैं। भोपाल में 9 बालगृह, शिशु गृह हैं।
जागरूकता- कार्रवाई न करने के निर्देश से भी मामले घटे
1.भोपाल के एक शिशु गृह में एक नवजात को देने पहुंचे नाबालिग लड़की के माता-पिता का कहना था कि उनकी बेटी के साथ ज्यादती होने की वजह से वह गर्भवती हो गई थी। उन्हें 5 माह बाद इसका पता चला तो उसे होशंगाबाद से पढ़ाई के नाम पर भोपाल लाए। बच्ची की डिलीवरी भोपाल के निजी अस्पताल में कराई। वह नवजात को अपने साथ नहीं ले जाना चाहते इसलिए उसे शिशुगृह में सौंपने आए हैं।
2.शाहपुरा झुग्गी बस्ती में प्रेम संबंध के कारण एक बिना ब्याही लड़की मां बन गई। वह बच्चा नहीं रखना चाहती थी। लड़की के परिजनों ने एक सामाजिक कार्यकर्ता से संपर्क किया था। उन्होंने चाइल्ड लाइन के माध्यम से बच्चे को सौंप दिया। बच्चा शिशुगृह में है।
पहचान गोपनीय रहेगी
सभी शिशु गृहों और बाल कल्याण समिति को महिला एवं बाल विकास विभाग ने आदेशित किया था कि यदि कोई अपने नवजात शिशु को पालने में छोड़ना चाहता है तो उसकी पहचान गोपनीय रखी जाए। संबंधित पैरेंट्स के खिलाफ भी कोई कार्रवाई न की जाए। इसके बाद पालने में नवजात को छोड़ने की संख्या बढ़ी है। सार्वजनिक स्थानों और अस्पतालों में पालना रखवाने के दिशा निर्देश भी जारी हुए हैं।
बच्चे बच जाते हैं, गोद जाकर बढ़ाते हैं वंश
महिला एवं बाल विकास विभाग की जागरूकता मुहिम रंग लाई है। अब नवजात शिशुओं को झाड़ियों में फेंकने के बदले पालने मेंं छोड़ने और सौंपने के मामले बढ़े हैं। यह एक पॉजिटिव पहल है। इसकी वजह से बच्चे संक्रमण से बच जाते हैं। गोद जाने की प्रक्रिया के तहत ये बच्चे किसी घर के अंश बनकर उनका वंश बढ़ाते हैं।
-विशाल नाडकर्णी, संयुक्त संचालक, महिला एवं बाल विकास
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