आपने नवरात्र पर देवी पांडालों में माता के कई स्वरुपों को देखा होगा, लेकिन इंदौर में एक स्थान है जहां चैतन्य रूप में देवियों का स्वरूप नजर आता है। यहां माता दुर्गा, माता कालका, माता सरस्वती, माता ज्ञानगंगा, माता लक्ष्मी के रूप साक्षात नजर आते है। जी हां, हम बात कर रहे है प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरी विश्व विद्यालय ज्ञानशिखर ओमशांति भवन न्यू पलासिया की। जहां चैतन्य देवियों की अनूठी झांकी सजाई गई है। यहां ब्रह्मकुमारी बहनें ही देवियों का स्वरूप लेकर झांकी में बैठती है। इन झांकियों को देखने के लिए कई लोग भी यहां आते है।
इस झांकी की खास बात यह है कि झांकी में बैठने वाली ब्रह्मकुमारी बहनें करीब साढ़े तीन घंटे तक एक ही मुद्रा में बैठती हैं। बीते 35 वर्षों से यह झांकी की परंपरा यहां चली आ रही हैं। हालांकि इस बार प्रशासन से देर से गाइड लाइन मिलने के चलते सिर्फ 5 देवियों की झांकी यहां तैयार की गई है। जबकि हर वर्ष 9 देवियों को स्वरुपों को इस झांकी के माध्यम से दिखाया जाता है।
35 सालों से तैयार की जा रही झांकी
इंदौर झोन की मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्मकुमारी हेमलता दीदी ने बताया प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरी विश्व विद्यालय ज्ञानशिखर ओमशांति भवन न्यू पलासिया में चैतन्य देवियों की झांकी आमजन के लिए आकर्षण का केंद्र है। बीते 35 वर्षों से इस प्रकार चैतन्य देवियों की झांकी यहां तैयार की जाती रही है। हालांकि इस प्रकार प्रशासन से देर से गाइड लाइन मिलने से इसे छोटे रूप में सजाया गया हैं। माउंट आबू स्थित मुख्य कार्यालय से इसकी शुरूआत हुई थी। नवरात्र पर कई सेंटर पर इस प्रकार झांकी तैयार की जाती है।
5 देवियों को स्वरूप में नजर आई ब्रह्मकुमारी बहनें
यहां तैयार की गई इन झांकियों में ब्रह्मकुमारी बहनें 5 देवियों के स्वरूप में नजर आए। जिसमें माता दुर्गा, माता लक्ष्मी, माता कालका, माता सरस्वती और माता ज्ञानगंगा का स्वरूप नजर आया। जिसमें माता दुर्गा शेर पर सवार, तो माता लक्ष्मी कमल पर तो माता सरस्वती सफेद हंस पर तो माता कालका खड़े स्वरूप में वहीं माता ज्ञानगंगा, ज्ञान की गंगा बहाते हुए नजर आती हैं। हेमलता दीदी ने बताया कि राजयोग मेडिटेशन का हमारी बहनें अभ्यास करती है। उसी प्रतीकात्मक रूप में वे यहां एक ही पोज में मूर्ति के समान बैठी रहती है।
करीब साढ़े तीन घंटे तक एक ही मुद्रा में
ब्रह्मकुमारी अनिता दीदी ने बताया कि माता स्वरूप में बैठने वाली ब्रह्मकुमारी बहनें शाम 6.30 से रात 10 बजे तक एक ही मुद्रा में करीब साढ़े तीन घंटे बैठती है। हालांकि बीच में सिर्फ 5 मिनिट के लिए झांकी का पर्दा लगाया जाता है। इस दौरान भी ब्रह्मकुमारी बहनें अपने स्थान से ना ही उठती है ना ही स्थान से हटती है। सिर्फ अपने हाथों में लिए शस्त्र को ही कुछ देर के लिए रखती है। उन्होंने बताया कि मेडिटेशन से यह संभव हैं। यहां चैतन्य देवियों की झांकियां देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते है।
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