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आंतरिक ऊर्जा बढ़ाने का समय है नवरात्रि, सफल होना चाहते हैं संकल्प शक्ति मजबूत करें और खुद पर भरोसा रखें

 

आज (7 अक्टूबर) से नवरात्रि शुरू हो गई है और 14 अक्टूबर तक ये पर्व चलेगा। इन दिनों में वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का बहुत ज्यादा और तेजी से संचार होता है। अगर कोई व्यक्ति नवरात्रि के समय में सकारात्मक ऊर्जा को धारण करता है तो वह अपने जीवन को नई दिशा दे सकता है। नवरात्रि में मनुष्य को न केवल मां की आराधना करनी चाहिए, बल्कि मां दुर्गा के गुणों को भी अपनाना चाहिए।

हर व्यक्ति के मन में मां दुर्गा ऊर्जा के रूप में विराजमान हैं, हमें जरूरत है उस ऊर्जा को बढ़ाने की। इस नवरात्रि में नौ अच्छी आदतों को जीवन में उतारने की कोशिश करेंगे तो जीवन में सुख-शांति और सफलता मिल सकती है।

संकल्प शक्ति मजबूत करें

अगर सफलता प्राप्त करना है तो सबसे जरूरी है- मजबूत संकल्प शक्ति। दृढ़संकल्प के बिना कोई व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित कर लेता है, लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए पर्याप्त मेहनत नहीं कर पाता है। कमजोर संकल्प शक्ति की वजह से व्यक्ति बुरी आदतें छोड़ नहीं पाता है और नकारात्मक विचारों की वजह से काम पूरे नहीं हो पाते हैं। इस नवरात्रि में अपनी संकल्प शक्ति को बढ़ाएंगे तो सफलता हासिल की जा सकती है।

संयम बनाए रखें

संयम यानि मन पर नियंत्रण रखना। नवरात्रि संयम शक्ति बढ़ाने का सबसे अच्छा समय है। संयमित रहेंगे तो कई समस्याएं जीवन में आती ही नहीं हैं और जो आती हैं, उन्हें आसानी से हल किया जा सकता है। नवरात्रि में रखे जाने वाले व्रत हमें संयमित रहना सिखाते हैं। इससे हमारी संयम शक्ति में बढ़ोतरी होती है।

साहस भी जरूरी है

मां दुर्गा का एक संदेश है साहसी बनो। कोई व्यक्ति कितना साहसी है, इसकी पहचान विकट परिस्थितियों में ही होती है। कठिन समय आते ही साहसहीन व्यक्ति बिखर जाते हैं, जबकि जो व्यक्ति साहसी है, वह विपरीत समय में और ज्यादा निखरता है। साहस शक्ति से इंसान कठिन परिस्थितियों को दूर कर पाता है और हालात अपने पक्ष में कर लेता है।

धैर्य न खोएं

धैर्य एक ऐसा गुण है, जो बहुत कम लोगों में दिखाई देता है। छोटी-छोटी बातों में ही व्यक्ति अपना धैर्य खो देता है। व्यक्ति को सफल होने की बहुत जल्दी होती है, उसे कर्म करते ही फल की चिंता सताने लगती है और अगर फल मिलने में देरी हो तो व्यक्ति तुरंत अपना रास्ता बदल लेता है। यही जल्दबाजी उसकी असफलता का कारण बन जाती है। मां गौरी यानि पार्वती से हमें धैर्य का गुण सीखना चाहिए, उन्होंने शिव जी पाने के लिए मुश्किल तप किया और उन्होंने अपनी तपस्या से शिव जी को प्रसन्न किया।

खुद पर और भगवान पर भरोसा रखें

विश्वास शक्ति ही पत्थर को ईश्वर बना देती है। हर व्यक्ति को बाहरी दुनिया में विश्वास स्थापित करने से पहले खुद पर विश्वास करना सिखना चाहिए, क्योंकि जब तक हमें खुद पर भरोसा नहीं होगा, तब तक ये दुनिया व्यर्थ ही लगेगी। एक बार जब व्यक्ति के अंदर बिलिव सिस्टम तैयार हो जाता है या विश्वास की शक्ति बढ़ने लगती है तो वह असंभव लगने वाले काम को भी आसानी से पूरा कर सकता है।

आनंद के साथ जीएं

हम हमेशा सफलता हासिल करें, लेकिन आनंद के साथ जी नहीं सके तो सफलता का कोई महत्व नहीं है। अगर हम हमेशा प्रयास करते रहें, लेकिन सफलता न मिले तो निराशा बढ़ती है। इसलिए हर परिस्थिति और हालातों में आनंद प्राप्त करना, खुश रहना सीखना चाहिए। आनंद के बिना इंसान मृत समान हो जाता है। इसलिए आनंद के साथ जीना शुरू करें।

जीवन में सामंजस्य बनाए रखें

पूरी सृष्टि के संचालन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है सही सामंजस्य यानि तालमेल। सिर्फ इस गुण पर पूरी दुनिया चल हो रही है। सामंजस्य शक्ति वह ऊर्जा है, जिसके बिना हमारे शरीर का एक भी अंग संचालित नहीं हो सकता। संपूर्ण प्रकृति भी सामंजस्य पर ही चल रही है। इसलिए हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए। हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है। इन्ही पंचतत्वों से मिलकर सृष्टि बनी है। हम जितना प्रकृति से ले रहे हैं, उतना ही हमें लौटाना भी चाहिए। विकास के साथ हमें पर्यावरण के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।

संवेदनाएं भी हैं जरूरी

इंसान के लिए संवेदनशील होना बहुत आवश्यक है, संवेदना के बिना व्यक्ति हिंसक हो सकता है। मां दुर्गा संपूर्ण जगत की माता है और मां से ज्यादा संवेदनशील कोई और नहीं हो सकता है। जब हमारे अंदर संवेदन शक्ति का संचार होता है तो हममें दया, करुणा और दान की भावनाएं बढ़ने लगती हैं। ये तीनों संवेदना के ही तत्व हैं। जब आप इन तीनों गुणों को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं तो ईश्वर के और ज्यादा करीब पहुंच सकते हैं।

सत्य का साथ दें

सत्य वह गुण है जो जीवन में शामिल हो गया तो फिर कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है। रावण के साथ युद्ध के दौरान भगवान श्रीराम ने भी सत्य की जीत के लिए मां भगवती का आव्हान किया था। इस नवरात्रि आप भी भगवती का आव्हान करें और जीवन में सत्य की शुरुआत करें। यकिन मानिए एक बार आपकी जीवन शैली में सत्य को स्थान मिल गया तो सफलता जरूर मिलेगी।

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