देश में सबसे लंबी उम्र की बाघ, सिंह, भालू और लकड़बग्घा वन विहार नेशनल पार्क में हैं। खास बात यह है कि यह सभी मादा हैं। वन विहार के डायरेक्टर एससी गुप्ता और डिप्टी डायरेक्टर एके जैन ने बताया कि मादा भालू गुलाबो ने तो सबसे अधिक समय तक जीवित रहने का एक नया रिकॉर्ड भी बनाया है। वहीं बाघिन गौरी भी देश की सबसे बूढ़ी बाघिन है।
वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता का कहना है कि अब ठंड आ रही है तो इनके कमरे में हॉट ब्लोअर, पर्दे आदि लगाए जाएंगे। इनकी सेहत और खुराक का भी विशेष ख्याल रखना पड़ता है। इनकी डाइट में मल्टी विटामिन्स खासतौर पर शामिल रहते हैं।
बाघिन गौरी उम्र 17 साल- जयपुर से आई, शांतिप्रिय है
वन विहार में बाघों में सबसे बुजुर्ग बाघिन गौरी है। यह शांत रहती है। पर्यटकों द्वारा आवाज देने पर देखती है। चहल-कदमी करके फिर बैठ जाती है। इसे एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत जयपुर से लाए थे। इसके माध्यम से कुनबा बढ़ाने का भी प्रयास किया, लेकिन बाघ कान्हा की मौत के बाद ब्रीडिंग का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। वर्तमान में इसकी उम्र 17 साल है। जंगल में बाघ-बाघिन की मौत 12 या 13 साल में टेरीटोरियल फाइट में हो जाती।
सिंह वरू उम्र 18 साल- कोई पास से गुजरता है तो दहाड़ने लगती है
सर्कस से रेस्क्यू की गई मादा सिंह वरू की उम्र 18 साल है। इसके साथ वृंदा, मोंटू और लांबा सिंह असम से वन विहार आए थे। तीनों की मौत हो चुकी है। उम्रदराज होने के बाद भी वरू सबसे ज्यादा एक्टिव है। इसके पास से कोई कर्मचारी गुजरता है तो दहाड़ने लगती है। इससे अधिकारियों को पता चल जाता है कि केयर टेकर उससे जाकर सीधे नहीं मिला।
भालू गुलाबो उम्र 40 साल- सबसे लंबे समय तक जिंदा रहने का रिकॉर्ड
वन विहार में देश की सबसे बूढ़ी भालू गुलाबो है। इसे सबसे ज्यादा शहद पसंद है। बूढ़ी होने के कारण इसकी आंखों में सफेदी आ गई है, जिससे इसे दिखाई नहीं देता। इसे 6 मई 2006 को मदारियों से रेस्क्यू किया था। इसका स्वभाव एकदम शांत है। इसे अलग बाड़े में रखा है। गुलाबो को देश के सभी चिड़ियाघर और एसओएस के तीनों सेंटर ने सबसे बुजुर्ग मादा भालू घोषित किया है।
लकड़बग्घा सुंदरी उम्र 13 साल- आंखों से दिखाई नहीं देता, अब ट्रेंड हो गई है
मादा लकड़बग्घा सुंदरी को आंखों से दिखाई नहीं देता। इसके साथ इसकी बहन लूसी भी मिली थी। उसकी मौत हो गई। सुंदरी अंधी होने के बाद भी पूरे बाड़े में आसानी से घूमती है। इसे पहले एक कमरे में बंद करके रखा जाता था। बाद में इसे खुली हवा में सांस लेने के लिए बाड़ा दिया। इसे धीरे-धीरे ट्रेंड किया। अब यह अपने बाड़े को पहचानती है। ये आम तौर पर 8 साल तक जीते हैं।
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