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शारदीय नवरात्र पर मां की आराधना:इस साल दुर्लभ गुरु संयोग भी, उच्च का बुध और स्वग्रही शनि बनाएंगे अच्छे व्यापार और भूमि भवन के सयोग

अन्नपूर्णा मंदिर में तैयारिया। - Dainik Bhaskar
अन्नपूर्णा मंदिर में तैयारिया।

नवरात्र का पर्व गुरुवार से शुरू हो रहा है। इसे लेकर जहां इंदौर के माता मंदिरों में तैयारियां की गई हैं। वहीं, शुभ मुहूर्त में मंदिरों और घरों में घट स्थापना होगी। इंदौर के माता मंदिरों में कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ भक्त दर्शन कर सकेंगे। कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा है कि शासन की गाइडलाइन इंदौर जिले में भी लागू होगी। 50 % क्षमता के साथ गरबा की मंजूरी का सख्ती से पालन होगा।

ज्योतिर्विद पंडित सोमेश्वर जोशी के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना कर शक्ति पूजन शुरू किया जाता है। प्रतिपदा दोपहर 1.46 मिनट तक रहेगी। चर और वैधृति योग भी रहेंगे। महाअष्टमी पूजन 13 अक्टूबर को होगा। महानवमीं पूजन 14 अक्टूबर को होगा। तृतीया और चतुर्थी तिथि का पूजन शनिवार को होने से इस बार नवरात्रि 8 दिन की रहेगी। वहीं, ग्रह स्थिति देखें तो नवरात्रि में उच्च का बुध कन्या राशि में और स्वग्रही शनि मकर राशि में होने से अच्छे व्यापार और भूमि भवन के शुभ संयोग प्रदान करेंगे। इस बार देवी दुर्गा डोली में सवार होकर आ रही हैं।

शुभ रहेगी नए कामों की शुरुआत

उन्होंने बताया कि इस साल गुरुवार को नवरात्रि का शुरू और समाप्त होना शुभ माना जा रहा है। नवरात्रि में पांच रवि योग के साथ चर योग और वैधृति योग बना रहा है। इस वजह से इस नवरात्रि में नए कार्यों की शुरुआत शुभ रहेगी। 7 अक्टूबर से 19 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा तक कई शुभ मुहूर्तों का संयोग बन रहा है। इन मुहूर्तों में खरीदारी करने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु स्वजनों के लिए सुखकारक होती है। ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी के मुताबिक नवरात्रि से शरद पूर्णिमा तक 13 दिनों में सर्वार्थ सिद्धि, अमृत, रवि योग, आनंददी, त्रिपुष्कर योग पड़ रहा है। ऐसे में शुभ योगों में सोना-चांदी, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक, घरेलू सामान खरीदने से परिवार में सौभाग्य बढ़ता है।

इन शुभ मुहूर्त में होगी घट स्थापना

सुबह 6.19 से 7.48 तक शुभ

सुबह 10.45 से 12.14 तक चल

दोप 12.14 से 1.43 तक लाभ

दोप 1.43 से 3.11 तक अमृत

शाम 4.40 से 6.08 तक शुभ

शाम 6.08 से 7.40 तक अमृत

रात 7.40 तक 9.11 तक चल

रात 12.14 से 1.46 तक लाभ

दोपहर 11.50 से 12.38 तक अभिजीत (घट स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त)

महालक्ष्मी मंदिर राजबाड़ा।
महालक्ष्मी मंदिर राजबाड़ा।

अष्टमी-नवमी पर होगा हवन

इंदौर के राजबाड़ा स्थित अति प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में गुरुवार को मां का भव्य श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर के पुजारी पंडित दिनेश उज्जैनकर के मुताबिक सुबह मां का श्रृंगार किया जाएगा। जिसके बाद 6.30 बजे घट स्थापना की जाएगी। इसके बाद सुबह 9.15 बजे माताजी की आरती की जाएगी। इसके बाद शाम को करीब साढ़े 5 बजे माताजी का दोबारा श्रृंगार किया जाएगा। फिर शाम 7.15 बजे आरती की जाएगी। 9 दिनों तक यह व्यवस्था रहेगी। इसके साथ ही अष्टमी-नवमी पर हवन किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि 1833 में इंदौर के महाराजा हरिराव होलकर ने मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी। नवरात्रि पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दर्शन की व्यवस्था है। चलित दर्शन व्यवस्था भक्तों के लिए रहेगी यानी ज्यादा देर यहां किसी को रुकने नहीं दिया जाएगा।

अन्नपूर्णा मंदिर में माता का 4 बार श्रृंगार किया जाएगा।
अन्नपूर्णा मंदिर में माता का 4 बार श्रृंगार किया जाएगा।

अन्नपूर्णा मंदिर में चार बार होगा माता का श्रृंगार

70 साल पुराने अन्नपूर्णा माता मंदिर में इस बार माताजी का चार बार श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर के पुजारी मनोज शर्मा ने बताया कि मंदिर में मां अन्नपूर्णा, मां गायत्री और मां महाकाली की प्रतिमा स्थापित हैं। गुरुवार को दोपहर 12 बजे घट स्थापना की जाएगी। 10 दिनों तक मंदिर में नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। मंदिर में आकर्षित विद्युत सजावट भी की गई है। वहीं, मंदिर में सतचंडी महायज्ञ भी गुरुवार से शुरू होगा।

रोजाना सुबह 9 से 12 और 3 से 6 बजे तक सतचंडी महायज्ञ का पाठ होगा। वहीं, अष्टमी, नवमी और दशमी को हवन होगा। मंदिर के स्वामी जयद्रानंद गिरी महाराज के मुताबिक सुबह 4 बजे, सुबह 10 बजे, दोपहर 2 बजे और शाम 5 बजे माता का श्रृंगार होगा। हालांकि आम दिनों में दो बार ही मां का श्रृंगार किया जाता है। मगर, इस बार माताजी का चार बार श्रृंगार किया जाएगा। कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए भक्तों के दर्शन की व्यवस्था की गई है।

हरसिद्धी माता मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में होगी घटस्थापना।
हरसिद्धी माता मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में होगी घटस्थापना।

अभिजीत मुहूर्त में होगी घट स्थापना

250 साल से ज्यादा प्राचीन हरसिद्धी माता मंदिर अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी। मंदिर के पुजारी पंडित राधेश्याम जोशी सुबह 5 बजे मंदिर में मां की आरती होगी। इसके बाद सुबह 7.30 बजे मां का अभिषेक, पूजन और श्रृंगार कर मां की आरती की जाएगी। फिर सुबह 10 बजे मां की आरती होगी। शाम साढ़े 5 बजे मां का श्रृंगार किया जाएगा और शाम 7.30 बजे मां की आरती की जाएगी।

मंदिर में मां महालक्ष्मी, मां हरिसिद्धी और मां सिद्धीदात्री विराजित हैं। अष्टमी पर मंदिर में हवन होगा। नवमी पर कन्यापूजन, कन्या भोज होगा। इधर, मंदिर में आकर्षित सजावट भी की गई है। कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए भक्तों के दर्शन की व्यवस्था की गई है।

बिजासन माता मंदिर 3 चरणों में दर्शन व्यवस्था रहेगी।
बिजासन माता मंदिर 3 चरणों में दर्शन व्यवस्था रहेगी।

तीन स्टेप में रहेगी दर्शन व्यवस्था

बिजासन माता मंदिर में नवरात्रि का पर्व भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा। मंदिर के पुजारी आशीष वन गोस्वामी ने बताया कि बिजासन मां का सुबह अभिषेक कर भव्य श्रृंगार किया जाएगा और घट स्थापना एवं ज्वारे और कलश स्थापना की जाएगी। सुबह 6 बजे मंगर आरती के बाद दुर्गा सप्तशती पाठ और हवन-पूजन होगा। इसके साथ ही मंदिर के पुजारी ने भक्तों से निवेदन किया है कि वे कोविड प्रोटोकॉल का पालन करे और मंदिर में मास्क लगाकर ही आए। साथ ही मंदिर प्रबंधन समिति ने कोरोना गाइड लाइन के मद्देनजर रोक रोककर 3 स्टेप में दर्शन की व्यवस्था की है।

उषा नगर महालक्ष्मी मंदिर 9 अलग-अलग रूपों में मां को सजाया जाएगा।
उषा नगर महालक्ष्मी मंदिर 9 अलग-अलग रूपों में मां को सजाया जाएगा।

दिन अलग-अलग स्वरूप में दर्शन देंगी मां

उषा नगर स्थित महालक्ष्मी मंदिर में नवरात्रि पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए नवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। मंदिर के राजकुमार राठौर ने बताया कि नवरात्रि पर 9 अलग-अलग स्वरूपों में माताजी को सजाया जाएगा। इसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धीदात्री। इसके साथ ही मंदिर में रोजाना सप्तशति का पाठ किया जाएगा। वहीं 20 महिलाओं द्वारा दो दिवसीय गरबा भी यहां किया जाएगा।

मंदिर में मास्क लगाकर आना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य किया गया है। साथ ही मंदिर में ज्यादा भीड़ होने की स्थिति में आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्तों की भी व्यवस्था की गई है।

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