करवाचौथ का त्यौहार धार्मिक रीति रिवाज व परंपरागत तरीके से मनाया गया। सुहागिनों ने दिन भर व्रत रख पति की दीर्घायु की कामना की और छलनी में चांद का दीदार कर व्रत खोला। मांग में सिंदूर, हाथों में खनकती चूड़ियां व गले में दमकता हार। कुछ ऐसा ही था करवाचौथ के पर्व पर सुहागिनों का अंदाज।
पति की दीर्घायु और उज्जवल भविष्य की कामना का पर्व जिले भर में उत्साह से मनाया गया। सजी संवरी महिलाओं ने व्रत रखकर चन्द्रमा को अर्ध्य देते हुए अपने पति की लंबी उम्र की कामना की और फिर व्रत तोड़ा। महिलाएं सुबह से ही अपनी सहेलियों तथा रिश्तेदारों के साथ एकत्र हुई और एक दूसरे की मदद से सजी संवरी। कुछ ने सजने के लिए ब्यूटिशियन का सहयोग लिया। पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री की पूजा की। रात को चांद देखने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ा। सास ने अपनी बहु के लिए सरगी भेजने की परंपराओं को पालन किया।
अर्जुन के लिए द्रोपदी ने रखा था पहला व्रत
ऐसी मान्यता है कि जब महाभारत काल में अर्जुन कौरवो से युद्ध करते थे तो द्रोपदी ने यह व्रत सबसे पहले अर्जुन के लिए रखा। कहते हैं कि तभी से ही पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिए इस परंपरा का निर्वहन करती आ रही है।
बारिश ने फीका किया करवाचौथ का मजा
दिन छिपते ही जिले में मूसलाधार बारिश ने सुहागिनों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। बावजूद एकाएक बारिश की बौछार तथा बादलों के पीछे छिपे चांद को तलाश करती सुहागिनों की आंखो में पति के प्रति अथाह प्यार झलकता दिखा।
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