गुरुवार 28 अक्टूबर से शुक्रवार की सुबह करीब 11.37 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने से इसे गुरु पुष्य कहा जाता है। ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार धनतेरस और दिवाली से पहले खरीदारी के लिए बहुत ही शुभ मुहूर्त बन रहा है। यह गुरु-पुष्य नक्षत्र 28 अक्टूबर की सुबह से शुक्रवार सुबह करीब 11:37 तक रहेगा।
इंदौर के ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी ने बताया कि गुरु-पुष्य नक्षत्र और मकर राशि में गुरु-शनि का योग बहुत समय बाद बना है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। गुरु-पुष्य योग धर्म-कर्म, मंत्र जाप, अनुष्ठान, मंत्र दीक्षा, दान-पुण्य नए अनुबंध, व्यापार आदि शुरू करने के लिए शुभ माना गया है। अन्य शुभ कार्य भी इस नक्षत्र में शुरू किए जा सकते हैं।
दिवाली 4 नवंबर को है और इससे पहले आज (28 अक्टूबर) को खरीदारी और निवेश का महामुहूर्त है। गुरुवार को पुष्य योग और शनि-गुरु ग्रह की मकर राशि युति इस योग को और भी खास बना रहे हैं। गुरुवार को सिद्धयोग दोपहर 12.49 बजे तक रहेगा, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। साध्य योग रात 12.46 बजे तक रहेगा। शुभ योग दोपहर 12.49 के बाद से पूरे दिन रहेगा। इस दिन रत्नाकुर योग, क्रकच योग भी रहेंगे।
ये हैं गुरु-पुष्य नक्षत्र की खास बातें
नक्षत्र ज्योतिष के अनुसार सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। विवाह को छोड़कर अन्य सभी शुभ कर्म इस दिन से शुरू किए जा सकते हैं। अभिजीत मुहूर्त को नारायण के सुदर्शन चक्र के समान शक्तिशाली बताया गया है, फिर भी पुष्य नक्षत्र और इस दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त का प्रभाव अन्य मुहूर्तों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
पुष्य नक्षत्र का सबसे अधिक महत्व गुरुवार और रविवार को होता है। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने से गुरु-पुष्य और रविवार को रवि-पुष्य योग बनता है। गुरुवार को कालाष्टमी, अहोई अष्टमी भी है। वारों में गुरुवार को श्रेष्ठ माना जाता है, तिथि में अष्टमी ओर नक्षत्रों में पुष्य को श्रेष्ठ माना जाता है। अतः ये योग भी गुरुवार को होने से ये दिन और शुभ हो गया है।
इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का स्वभाव कैसा होता है
बृहस्पति देव और प्रभु श्री राम भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे। नारद पुराण के अनुसार इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग महान कर्म करने वाले, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, कलाओं के ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होते हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाली कन्याएं अपने कुल का यश बढ़ाने वाली होती हैं। ये कन्याएं शौभाग्य शालिनी, धर्म में रूचि रखने वाली, धन-धान्य प्राप्त करने वालीं, सौंदर्य शालिनी और पतिव्रता होती हैं।
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