- एशिया के सबसे बड़े प्लांट का काम 90% हुआ
देवगुरा में स्थापित किए जा रहे 550 टन क्षमता वाले एशिया के सबसे बड़े बायोमिथेनाइजेशन प्लांट का काम 90 प्रतिशत हो गया। 15 नवंबर से इसमें गोबर की फीडिंग की जाएगी, जिससे गैस बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। दिसंबर से इसमें गीले कचरे से सीएनजी का उत्पादन शुरू किया जाएगा।
साइट पर प्लांट आकार ले चुका है। डाइजेस्टर टैंक, डीप बंकर तैयार हैं। इसमें गीले कचरे को लिया जाएगा। साइट पर फेब्रिकेशन के साथ अब शेड बनने का काम तेजी से किया जा रहा है। इस प्लांट को तैयार करने में बायोगैस के टैंक यूके से, स्लरी मशीन डेनमार्क से, मिक्सचर एजीटेटर जर्मनी से और डीकेंटर इटली से बुलवाया गया है।
इन सभी पार्ट्स को यहां पर इंस्टॉल कर प्लांट खो खड़ा किया गया। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया एशिया के सबसे बड़े इस प्लांट के पहले चरण में 200 टन प्रतिदिन की क्षमता का प्लांट शुरू किया जाएगा। इसमें 15 नवंबर से गोबर फीड किया जाएगा, जिससे गैस बनने की प्रक्रिया शुरू होगी।
550 टन गीले कचरे से 17 हजार 500 किलो तक सीएनजी मिलेगी
इस प्लांट की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इससे नगर निगम को सालाना 2 करोड़ 52 लाख 50 हजार रुपए 20 साल तक प्रतिवर्ष प्रीमियम के रूप में मिलेंगे। शहर में पैदा होने वाले 550 टन गीले कचरे से ही यह प्लांट 17500 किलो सीएनजी तैयार करेगा। इसमें से आधी 8750 किलो सीएनजी मार्केट रेट से 5 रुपए कम शुल्क पर निगम को दी जाना है, जिससे एआईसीटीएसएल की बसों को संचालन होगा।
150 करोड़ रु. की लागत से तैयार हो रहा है प्लांट
इंदौर के कचरे से कमाई के मॉडल को पूरे देश में सराहना मिली थी। गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाने के लिए एशिया के सबसे बड़े बायो मिथेनाइजेशन प्लांट की नींव अगस्त 2020 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने रखी थी। यह प्लांट 150 करोड़ की लागत से स्थापित किया जा रहा है।
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