मध्य प्रदेश सरकार अब अवैध खनन और इसके परिवहन को रोकने के लिए खनिज विभाग में अमला बढ़ाने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में 2 नवंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। इसके साथ ही देशी शराब की मौजूदा व्यवस्था को 31 मार्च 2022 तक लागू रखने का निर्णय भी लिया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था 5 नवंबर तक लागू है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि बैठक में खनिज विभाग के सुदृढ़ीकरण के लिए नए पद स्वीकृत किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया है। अभी विभाग के अंतर्गत विभिन्न संवर्गों में 848 पद स्वीकृत हैं। वर्ष 2015 के बाद पदों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है, जबकि काम बढ़ गया है। खनिज राजस्व भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है, पर कर्मचारियों की संख्या कम है।
खनिज विभाग के अफसरों का कहना है कि राजस्थान में लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए का राजस्व खनिज के माध्यम से मिलता है और अमला 1963 का है। इसी तरह आंध्रप्रदेश में दो हजार 733 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है, विभाग में कर्मचारियों की संख्या 1200 है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इसकी तुलना में वर्ष 2020-21 में मध्य प्रदेश में खनिज राजस्व पांच हजार 85 करोड़ रुपए प्राप्त हुआ है, पर अधिकारी-कर्मचारी 848 हैं।
खनिज की उपलब्धता में कमी और मांग में वृद्धि के कारण अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण के प्रकरणों पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। स्वीकृत खनन कार्य को सुनिश्चित करने के लिए भ्रमण और निगरानी बढ़ाना भी जरूरी है। इसके मद्देनजर विभाग ने 511 नियमित और 357 पद आउटसोर्स से भरे जाने का प्रस्ताव तैयार किया है। नए पद बनने से सालाना 20 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
बैठक के दौरान आबकारी विभाग के देशी शराब की प्रदाय व्यवस्था को 31 मार्च 2022 तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। अफसरों का कहना है कि कोरोना काल की परिस्थितियों को देखते हुए देशी शराब प्रदाय व्यवस्था को 31 अक्टूबर 2021 तक लागू रखने का निर्णय लिया गया था। लेकिन 6 माह बीतने के बाद नई व्यवस्था बनाना अव्यवहारिक होगा। अफसरों का तर्क है कि मौजूदा व्यवस्था को आगे बढ़ाने से शासन को राजस्व का कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि दुकानों का नवीनीकरण और नए ठेके भी हो चुके हैं।
इन प्रस्तावों को भी मिलेगी मंजूरी
इसके अलावा कोरोना संकट के समय स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा, आक्सीजन सहित अन्य व्यवस्था पर व्यय की गई राशि और मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता ऋण योजना के तहत 6 लाख 10 हजार 60 हितग्राहियों को एक-एक हजार रुपए का अनुदान देने संबंधी निर्णय को अनुसमर्थन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। मध्य प्रदेश काष्ठ चिरान अधिनियम में संशोधन सहित अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया जाएगा।
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