5 दिन दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। त्योहार के लिए इंदौर के बाजार सज कर तैयार हैं। वहीं, हृदयस्थल राजवाड़ा के बर्तन बाजार में कई मूर्तियों की पुरानी दुकानें हैं। जहां पर आज भी भगवान विष्णु-लक्ष्मी कुबेर महाराज व उल्लू की मूर्तियां मिलती हैं। धनतेरस पर जहां लोग बर्तनों की खरीदारी करते हैं। कई लोग पीतल की इन मूर्तियों को भी घर में लेकर जाते हैं।
युवा पीढ़ी को धनतेरस की कम जानकारी
बर्तन बाजार स्थिति मूर्ति बाजार का जायजा लिया। यहां युवा पीढ़ियों से जब बात की गई, तो उनका कहना था कि धनतेरस पर भगवान विष्णु लक्ष्मी की पूजा करते हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि आज भगवान धनवंतरी का जन्मदिन होता है। इस पर उनका जवाब ना में था। युवा पीढ़ियों को इसकी जानकारी अमूमन कम ही दिखी।
40 वर्षों से मूर्ति का व्यापार करने वाले वीरेंद्र कछावा का कहना था कि बदलते परिवेश में जहां भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्तियों को घर में विराजमान करने का चलन था। वहीं, मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की भी मूर्तियां लोग खरीदते हैं। भाव कुछ बढ़ गए हैं, लेकिन उसके बावजूद भी आस्था के चलते ग्राहक अब धीरे-धीरे बाजार की ओर आ रहे हैं। पीतल की मूर्तियों के बाद की जाए, तो भाव डेढ़ गुना अधिक हो गए हैं। वहीं, 2 वर्षों से कोरोना के चलते बाजार बिल्कुल बंद से थे, लेकिन अब धीरे-धीरे रौनक आ रही है।
पहले त्योहार हो जाए फिर कोविड आए
परिवार के साथ धनतेरस की खरीदारी करने आई भावना चौधरी का कहती हैं कि 2 वर्षों से जिस तरह का माहौल है, इस वर्ष हम परंपरागत त्यौहार मनाएं। उसके बाद चाहे तो कोविड-19 जाए, तो दिक्कत नहीं। 2 वर्षों से रूखी मन रही दीपावली से मन दुखी है। बाजारों में आम व्यक्ति मास्क लगाकर निकलें।
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