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इंदौर में भोपाल जैसा हादसा न हो, क्योंकि हमारे बच्चों के अस्पताल भी भगवान भरोसे हैं

शहर के तीन वार्ड में कुल 18 मशीनें चल रही हैं। यहां अभी तक हाइड्रोलिक स्प्रिंक्लर सिस्टम नहीं लगाया गया है। - Dainik Bhaskar

शहर के तीन वार्ड में कुल 18 मशीनें चल रही हैं। यहां अभी तक हाइड्रोलिक स्प्रिंक्लर सिस्टम नहीं लगाया गया है।
  • चाचा नेहरू अस्पताल के पास फायर NOC नहीं, पीसी सेठी अस्पताल के चारों ओर अतिक्रमण, आग लगी तो दमकल पहुंच ही नहीं पाएगी

भोपाल के अस्पताल में लगी आग से 12 बच्चों की मौत इंदौर के अस्पतालों की व्यवस्थाओं में कोई अंतर नजर नहीं आया। हालत यह है कि नवंबर 2017 में एमवाय के एसएनसीयू में आग लगी थी, 44 नवजात बच्चों की जान पर बन गई थी।

हादसे के बाद हाई कोर्ट ने हाइड्रोलिक स्प्रिंक्लर लगाने के आदेश दिए, जिस पर चार साल बाद अब जाकर अमल हो पाया है। चाचा नेहरू अस्पताल और पीसी सेठी अस्पताल में अभी तक फायर सेफ्टी की एनओसी नहीं ली गई है। भोपाल में हुए हादसे के बाद अधिकारियों की नींद खुली। सभी जिलों से अस्पतालों में फायर सेफ्टी की रिपोर्ट बुलवाई है।

निगम को मिली दर्जनों खामियां

नगर निगम की टीम ने मंगलवार को चाचा नेहरू अस्पताल में फायर व बिजली सेफ्टी की जांच की। इसमें दर्जनों खामियां मिली। अस्पताल में मात्र 20 अग्निशमन यंत्र मिले। इनकी एक्सपायरी डेट 11 नवंबर है। फायर सेफ्टी का कोई और प्रबंध नहीं था। फायर एनओसी भी नहीं मिली।

अस्पताल प्रबंधन सवालों के जवाब भी नहीं दे पाया। टीम के अनुसार, अस्पताल में फायर ऑफिसर होना चाहिए, जो नहीं है। स्मोक अलार्म, हर फ्लोर पर ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर, फायर सेफ्टी के लिए अंडर ग्राउंड व छत पर अलग से टैंक भी नहीं है।

चाचा नेहरू अस्पताल: गिनती के अग्निशमन यंत्र वे भी बाहर जालियों पर टांग दिए

100 बेड की क्षमता के बच्चों का इस अस्पताल में पीआईसीयू व एनआईसीयू दोनों है। वार्मर, वेंटिलेटर, फोटोथैरेपी मशीन, मॉनीटर सहित कई जीवन रक्षक उपकरण 24 घंटे चल रहे हंै। तीन वार्ड में कुल 18 मशीनें चल रही हंै। यहां अभी तक हाइड्रोलिक स्प्रिंक्लर सिस्टम नहीं लगाया गया है।

इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने अब तक किसी तरह की कोशिश भी नहीं की है। यहां गिनती के 20 अग्निशमन यंत्र हैं, उन्हें भी बाहर जालियाें पर टांग रखा है। पिछले साल 11 नवंबर को ये यंत्र भरवाए गए थे, दो दिन बाद इन्हें फिर रीफिल कराना होगा। नगर निगम के दौरे में ढेरों खामियां सामने आने के बाद यंत्र बढ़ाने के ऑर्डर किए हैं।

पीसी सेठी अस्पताल- अफसरों को कई बार बताया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं, अब मांग रहे रिपोर्ट

एसएनसीयू के 20 बेड, पीआईसीयू के 10 बेड, एचडीयू के 6 बेड, 10 बेड फॉलोअप वार्ड और महिला आईसीयू के 10 बेड हंै। अधिकारियों ने अभी तक निगम से एनओसी नहीं ली है। हालत यह है कि अस्पताल परिसर में दमकल वाहनों के आने की जगह ही नहीं है। कई बार आला अधिकारियों को यह समस्या बताई गई लेकिन कोई निराकरण नहीं निकला। अब जब यह हादसा हुआ है तो रिपोर्ट मंगवाई जा रही है।

एमवायएच : हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी चार साल लग गए आधुनिक सिस्टम लगाने में

नवंबर 2017 में जब एमवायएच में शिशु रोग विभाग के एसएनसीयू में आग लगी थी, तब वहां 44 बच्चे भर्ती थे। बड़ी मुश्किल से पीछे के रास्ते उन्हें निकाला था। इसे लेकर याचिका लगी तब हाईकोर्ट ने आधुनिक फायर सेफ्टी सिस्टम लगाने के लिए कहा। पहले सरकार से बजट देरी से मिला। फिर काम शुरू हुआ। एक करोड़ 45 लाख की लागत से अब जाकर यहां हाइड्रोलिक स्प्रिंक्लर लगे हंै।

पूछा- सिस्टम क्यों नहीं बनाया, बोले-पत्र लिख रहे हैं

एनओसी की प्रक्रिया कॉलेज करता है। नए सिस्टम के लिए पत्र लिख रहे हैं। डाॅ. हेमंत जैन, अधीक्षक, चाचा नेहरू अस्पताल

अधिकारियों को बता चुके हैं परेशानी

आसपास अतिक्रमण से दमकल पहुंच नहीं सकती। अधिकारियों को बता चुके। डॉ. हेमंत द्विवेदी, प्रभारी,पीसी सेठी अस्पताल

पिछली घटना के बाद सिस्टम लगाया है

हादसे के बाद एमवाय में नया सिस्टम लगाया है। अन्य के लिए शासन को लिखेंगे।- डाॅ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम

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