धार शहर में पहली बार इंदौर-उज्जैन स्मार्ट सिटी उद्यान की तर्ज पर नगर पालिका नवग्रह, नक्षत्र व राशि वाटिका का निर्माण करवा रही है। शहर के एकमात्र लालबाग बगीचे के पास डेढ़ हेक्टेयर जमीन में इसे सघन वन के रूप में विकसित किया जा रहा है। 95 प्रतिशत काम पूरा हाे चुका है, नवग्रह वाटिका में राशि अनुसार पाैधे लगाने के बाद इसे नपा के हैंडओवर कर दिया जाएगा। इसके बाद शहरवासी भी इसमें घूम सकेंगे। इस वन में याेगाभ्यास के लिए तीन जगह शेड भी तैयार किए गए हैं। बैठक व्यवस्था सहित वार्किंग ट्रैक, फ्लायओवर, कृत्रिम पाेखर व वाटर रिचार्ज पिट भी बनाया है।
दरअसल अब तक शहरवासियाें के लिए लालबाग का बगीचा ही एकमात्र उद्यान था। अब यहां एक ओर सुविधा मिलेगी। यह जाे सघन वन तैयार किया गया है वह शहर के बीचाें-बीच हाेकर घाेड़ा चाैपाटी व मांडू राेड से लगा हुआ है। एक साल पूर्व इसकी शुरुआत की गई थी। इस सघन वन काे तैयार करने वाली एजेंसी के अंशुल व्यास ने बताया मियावाकी पद्धति से विभिन्न प्रजाति के 20 हजार पाैधे लगाए हैं। मियावाकी पद्धति से ही पाैधे लगाने के चलते इसमें 35 हजार पाैधे लगाने की क्षमता बढ़ गई है।
30 से अधिक साैलर लैंप लगाए हैं। जिससे रात के समय दूधिया राेशनी से आकर्षक लगेगा। इससे नपा काे बिजली खर्च भी नहीं अाएगा। अभी पाैधे छाेटे हाेने से नपा काे तीन साल तक देखरेख करना पड़ेगी। इसके बाद पाैधे बड़े हाेने से काेई समस्या नहीं आएगी। इस पूरे सघन वन काे बाउंड्रीवाॅल से कवर किया गया है। जिससे मवेशी भी अंदर घुसकर नुकसान नहीं कर पाएंगे। व्यास ने बताया शेष काम एक माह के अंदर पूरा कर इसे नपा के हैंडओवर कर दिया जाएगा। जिसके बाद शहरवासी भी इसमें सुबह-शाम घूम सकेंगे। जाे पाेखर तैयार किए गए है उसमें कमल के फूल खिलाए जाएंगे।
बारिश का पानी सहेजने बनाया वाटर रिचार्ज पिट
व्यास ने बताया बारिश के दिनाें में पूरे वन का पानी जमीन में उतारने के लिए वाटर रिचार्ज पिट बनाई है। अलग-अलग जगह ब्लाॅक तैयार कर पाैधे लगाए हैंं। इन ब्लाॅकाें के पास में नाली बनाकर बारिश का पानी फ्लायओवर के समीप बनाए रिचार्ज पिट में आकर जमीन में उतरेगा। जिससे वन में पानी भी एकत्र नहीं हाे सकेगा। 27 नक्षत्राें के लिए निर्धारित पाैधे, 12 राशि के लिए निर्धारित पाैधे व 9 ग्रह के लिए निर्धारित पाैधाें के अनुसार कुल 48 प्रजाति के पौधे से वाटिका तैयार हाेगी। जिसमें अश्विनी, काेचिला, पीपल, बट, चीर, शाल, नीम, महुआ, आम सहित विभिन्न प्रजाति के पाैधे लगाए जाएंगे।
यह है मियावाकी पद्धति
मियावाकी पद्धति से पाैधे लगाने से पहले तीन फीट गहरी खुदाई कर मिट्टी, कचरा व खाद की अलग-अलग लेयर बिछाकर फिर पाैधे लगाए जाते हैं। इस पद्धति से पाैधे लगाने से एक साल में पाैधाें की ग्राेथ जिस तरह से बढ़ती है वह अन्य जगह करीब दस साल लग जाते है। इस वाटिका में कुछ साल बाद ही पौधे पेड़ का रूप लेंगे।
गंधवानी में 6 वाटिका हैं
इस प्रकार की नवग्रह व नक्षत्र वाटिकाएं शहर से पहले कुक्षी के समीप छाेटे से गांव नवादपुरा में ग्रामीणाें ने तैयार की है। जबकि गंधवानी में भी 6 स्थानों पर आरईएस विभाग ने इस प्रकार की वाटिका तैयार की है।
0 टिप्पणियाँ