कहानी - जीसस एक गांव से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक महिला बहुत तेजी से गुजर रही थी। उसके पीछे एक व्यक्ति पागलों की तरह भाग रहा था। जीसस उन दोनों को जानते नहीं थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि महिला भाग रही है और पीछे पुरुष है तो कोई अनर्थ न हो जाए।
ऐसा सोचकर जीसस ने उस व्यक्ति को रोका और कहा, 'तुम ये क्या कर रहे हो?' ये बोलते हुए जैसे ही जीसस ने व्यक्ति को देखा तो उन्हें याद आया कि करीब दो साल पहले इसी गांव में ये आदमी मुझे मिला था। ये देख नहीं सकता था। उस समय इसने मुझसे प्रार्थना की थी मैं देख सकूं, ऐसा कुछ कर दीजिए।
जीसस ने उस व्यक्ति से कहा, 'मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि तुम्हें ज्योति मिल जाए और ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुनकर तुम कृपा भी की। उसी वरदान के प्रभाव से तुम देख पा रहे हो। आज तुम इस औरत के पीछे दौड़ रहे हो, कौन है ये औरत?'
व्यक्ति ने कहा, 'ये औरत एक वैश्या है और मैं इसे पाना चाहता हूं।'
ये बात सुनकर जीसस बोले, 'ये तुम क्या कर रहे हो? आंखों की ज्योति का ऐसा दुरुपयोग?'
व्यक्ति ने जीसस से क्षमा मांगते हुए कहा, 'आपने मुझे आंखें की रोशनी दी है, इसके लिए धन्यवाद, लेकिन अच्छा तो ये होता कि आप मुझे विवेक दृष्टि भी दे देते। मुझे देखना मिल गया, लेकिन आज मैं क्या देख रहा हूं? क्या देखा जाए, मुझे ये दृष्टि दे देते।'
उस दिन जीसस ने तय किया कि मैं लोगों को सुविधाएं न दिलवाऊं, उन्हें सुधारने का काम करूं।
सीख - हमें भी ये बात समझनी रखनी चाहिए कि हम किसी को सुविधाएं दिला दें और वह उसका दुरुपयोग करे, इससे तो अच्छा ये है कि हम उस व्यक्ति को सुधारें। भौतिक वस्तुओं का उपयोग करने का विवेक जगाएं। खासतौर पर बच्चों के लालन-पालन में ये बात ध्यान रखनी चाहिए।
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