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मानव जीवन यह कोरा कागज है:मनुष्य बुरी संगत में बुरी आदतें अपना लेता है

व्यक्ति समष्टि का अंग हैं, समष्टि सृष्टि का एक हिस्सा हैं, जो परमेष्टी में से उत्पन्न हुई हैं। इस कारण से सृष्टि में बने समाज की बिना किसी स्वार्थ के पवित्र सेवा करना प्रत्येंक का कर्त्तव्य बनता हैं। ऐसे व्यक्तियों से मिलकर ही सच्चा समाज बनता हैं। व्यक्ति का प्रत्येक कार्य समाज सेवा के प्रयोजन से ही होना चाहिए सभी इसी समाज के सदस्य हैं। हालांकि व्यक्ति व्यक्ति से भिन्न हैं, परन्तु सबके अंदर एक समान ही हृदय है। अर्थात सत्य एक है। लेकिन विद्वान उसे अलग-अलग नाम से पुकारते हैं। एकात्मा सर्व भूतान्तर आत्मा- अर्थात एक ही आत्मा सभी जीवों में वास करती है। उक्त बात श्री सत्यसाईं सप्ताह के अंतर्गत उपस्थित साई भक्तों को संबोधित करते हुए समिति के वरिष्ठ सदस्य नगीनलाल पंवार ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्री सत्यसाई बाबा ने कहा था कि मानव जीवन यह कोरा कागज है, इसमें यदि सब्जियां बांधोगे तो उसमें उनकी गंध फैल जाएगी। कागज की अपनी गंध नहीं होती हैं, जिस वस्तु को उसमें रखा जाए उसकी गंध तो वह अपने मे समा लेता हैं, मनुष्य भी सहज रूप से निर्मल और पवित्र होता हैं, लेकिन बुरी संगत में पड़कर वह बुरी आदतें अपना लेता हैं। उन्होने कहा कि बाबा ने कहा था कि कैसे लोगों की संगत में तुम रहते हो, तुम किस प्रकार के इंसान हो , तो तुम किस प्रकार के इन्सान हो यह मै बता सकता हूं। अच्छे लोगों की संगत में ही रहना परम आवश्यक हैं इसलिए अपने सभी प्रकार के कामों मे अच्छे लोगों की संगत में ही रहना परम आवश्यक हैं। तुम्हारा साथ ही अच्छा या बुरा बनाता हैं। इसलिए बुरे लोगो की संगत से बच कर रहों। जिनके हृदय निर्मल हों और भावनाएं पवित्र हों ऐसे लोगो का साथ बनाओं। हर मनुष्य समाज का अंग है और आज जो बुराइयां समाज में फैली हुई हैं, वे एक-एक व्यक्ति की निजी बुराइयों के परिणाम स्वरूप हैं। उसी प्रकार से समाज की बुराइयों का प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता हैं। सम्पूर्ण सृष्टि दिव्य हैं। सभी प्राकृतिक रूप से पावन हैं। अलग-अलग नामों से भगवान में भेद मत करो पंवार ने कहा कि अलग-अलग नामों से भगवान में कोई भेद मत करो। ऐसे ही नाम और रूप अलग-अलग होने पर भी आत्मा सब में समान हैं। राम या कृष्ण इन नामों के साथ नहीं जन्में थें। उनके माता -पिता ने उनको ये नाम दिए थे। भगवान किसी नाम के साथ जन्म नहीं लेते हैं। वे निर्गुण, निरजंन, सनातन, निकेतन , नित्य , शुद्ध, बुद्ध मुक्त और निर्मल स्वरूप वाले हैं। भगवान तो प्रेम स्वरूप, सत्य -स्वरूप हैं सत्य ईश्वर है। प्रेम ईश्वर है, प्रेम में जियो। गोशाला में गायों को हरी सब्जियां खिलाई श्री सत्यसाई सेवा समिति द्वारा मनाए जार हे साई सप्ताह में समिति के सेवा कार्यों के तहत स्थानीय श्री गोवर्धननाथजी भगवान की हवेली में स्थित गौशाला में गायों को हरी सब्जियां खिलाई गई। समिति की बाल विकास कंवीनर ज्योति सोनी के अनुसार 23 नवंबर को श्री सत्यसाईं बाबा के जन्म दिन सेवा दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन दिन भर सेवा गतिविधियों के साथ शाम 6 से 7 तक सर्वधर्म नाम संर्कीन एवं महाप्रसादी का आयोजन किया गया है।

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