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फिर गूंजा सचिन-सचिन:टीम इंडिया के लिए फिर खेलने उतरे सचिन, इस बार मैदान क्रिकेट का नहीं, बच्चों की सेवा और शिक्षा का

 

बच्चों के साथ सचिन ने शॉट लगाए। - Dainik Bhaskar
बच्चों के साथ सचिन ने शॉट लगाए।
  • संस्था परिवार केे स्कूल का निरीक्षण किया, बच्चों के साथ क्रिकेट खेला, खूब बातें की
  • इंदौर के पास संदलपुर में सेवा कुटीर के बच्चों से मिले मास्टर ब्लास्टर

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर मंगलवार को नई पारी खेलने इंदौर आए। शहर से 123 किमी दूर नेमावर के पास ग्राम संदलपुर में सेवा कुटीर द्वारा संचालित विद्यालय का निरीक्षण किया। बच्चों के साथ क्रिकेट खेला और खूब सारी बातें भी की। बच्चों के बीच सचिन बिल्कुल बच्चों की तरह नजर आए। उन्होंने बैट थामा तो टेनिस की बॉल सेवा कुटीर के बच्चों के हाथ में थी।

पहली गेंद को हल्के से प्लेट किया, लेकिन दूसरी गेंद आए उसके पहले बाॅलर से कहने लगे, मैं गेंद ऊपर मारूंगा तो तुम कैच पकड़ पाओगे। बच्चा जवाब नहीं दे पाया तो सचिन ने मास्क हटाया और फिर यह बात दोहराई। इस बार गेंद आकाश की ऊंचाई छू रही थी। हर बार अलग बच्चे ने गेंद डाली और सचिन ने जमकर शॉट लगाए। परिवार संस्था के संस्थापक विनायक लोहानी ने कहा कि सचिन मप्र एवं पश्चिम बंगाल में हमारे कई कार्यक्रम में मदद कर रहे हैं, जिससे हजारों गरीब आदिवासी बच्चों को लाभ मिल रहा है।

उनके आने से बच्चों की मदद के लिए चल रहे हमारे प्रयासों को नई ऊर्जा मिलेगी। कुछ घंटों की मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर लिखा, टीम इंडिया के लिए खेलना हमेशा सौभाग्य की बात रही है, चाहे मैदान पर या उसके बाहर। सेवा कुटीर व नि:शुल्क आवासीय विद्यालय देखना सुकून और संतोषजनक रहा। यकीन है कि हमारे बच्चे इस दुनिया को बेहतर व उज्ज्वल बना सकते हैं। हमें बस यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें समान अवसर मिले।

याद रखना, चित्र जल्द बन जाता है, हमें बड़ा होने में वक्त लगता है
बच्चों की पेंटिंग देखते हुए सचिन कुछ देर रुके। पूछा ये कितनी देर में बना है, बच्चों ने कुछ समय बताया। सचिन ने कहा कि यह कुछ देर में बन जाता है, लेकिन हमें बड़े होने में वक्त लगता है। पहली से 10वीं तक पहुंचने में वक्त लगता है। ये बात याद रखना।

पढ़ाई के साथ थोड़ी मस्ती करने में भी कोई प्राब्लम नहीं है
सचिन को बच्चों ने ग्रिटिंग कार्ड भेंट किया तो वे खुश हो गए। बोले, यह सबने मिलकर बनाया है ना। बच्चों ने हां कहा तो मुस्कान खिल उठी। एक बच्चे से पूछा मस्ती करते हो। उसेे संकोच करते देख बोले, पढ़ाई के साथ थोड़ी मस्ती चलती है। मैं भी करता था।

फिर दूरस्थ गैप को चुना
खेलने के दौरान सचिन हमेशा फील्ड में सबसे दूर बाउंड्री पर खिलाड़ियों के बीच गैप को शॉट के लिए चुनते थे। मैदान के बाहर भी उन्होंने इसी आदत को निभाया। मदद के लिए उन बच्चों को चुना, जो दूर-दराज के इलाके में हैं और भौगोलिक बाधाओं के कारण उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।

पिता की प्रेरणा से ही उनकी इच्छा पूरी करने आया हूं
सचिन पिता प्रो. रमेश तेंदुलकर की स्मृति में अपने फाउंडेशन के माध्यम से संदलपुर में स्कूल बनवा रहे हैं। मीडिया से चर्चा में बोले, मेरे पिताजी की इच्छा थी कि मैं गरीब बच्चों के उत्थान के लिए कार्य करूं। उन्हीं की प्रेरणा से उनकी इच्छा पूरी करने आया हूं।

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