लंदन में जब इसी साल 1 नवंबर को डब्ल्यूटीएम (वर्ल्ड ट्रैवल मार्केट) रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म अवाॅर्ड्स की घाेषणा हुई तो सब हैरान थे, क्योंकि मप्र को ग्रामीण पर्यटन के मामले में दुनिया में नंबर वन घोषित किया गया था। मप्र को ग्रामीण पर्यटन कार्यक्रम हेतु गोल्ड अवाॅर्ड का पुरस्कार ‘डेस्टिनेशन बिल्डिंग बैक बेटर पोस्ट कोविड‘ श्रेणी में दिया गया है।
इस अवॉर्ड की रेस में दुनिया के वे तमाम देश शामिल थे, जो सिर्फ पर्यटन के लिए पहचाने जाते हैं, लेकिन जजेस ने मप्र को चुना। हमें इस पुरस्कार तक पहुंचने में तीन साल लगे। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने ग्रामीण पर्यटन कार्यक्रम के पहले चरण में 60 और दूसरे चरण में 40 गांव चुने।
शहरी लोगों को ग्रामीण गतिविधियों जैसे- बैलगाड़ी की सवारी, खेती और सांस्कृतिक अनुभव खूब पाया। इसी ने हमें विश्व में एक अलग पहचान दी। सबसे बड़ी बात कि हम इस नए पर्यटन से करीब 20 हजार ग्रामीणों को जोड़ पाए। लोग इस पर्यटन के लिए गांव में ही रुकते हैं। देसी भोजन करते हैं।
पर्यटक आते हैं तो गांव में साफ-सफाई बनी रहती है। साथ ही अकाउंटिंग, हाउसकीपिंग, गेस्ट हाउस प्रबंधन, गाइड, फोटोग्राफी जैसे सेक्टर में रोजगार बढ़ने लगा है। सबसे बड़ी बात कि इन गांव में पलायन 100% रुक गया। अब प्रदेश के 100 अन्य गांव को भी हम जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं।
पंजाब, गुजरात, राजस्थान से 3 करोड़ ज्यादा पर्यटक मध्यप्रदेश आए
- अधिकतर पठारी हिस्से में बसे मध्यप्रदेश में विन्ध्य और सतपुड़ा की पर्वत शृंखलाएं इस प्रदेश की तरफ पर्यटकों को खींचती हैं।
- इन पहाड़ों में ताप्ती, नर्मदा, चम्बल, सोन, बेतवा, महानदी नदी बहती हैं। पांच राज्य ऐसे हैं, जहां जल पर्यटन है। इसमें टॉप थ्री में मप्र है।
- खंडवा का जल महोत्सव सबसे बड़ा आयोजन है। यहां के पर्यटक पचमढ़ी, तामिया भी जाते हैं। यहां हर साल 10 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं।
इस गांव ने बनाया नं.-1
यूएन में मप्र को पहला स्थान लाडपुरा खास गांव ने दिलाया। यह निवाड़ी जिले में बेतवा किनारे बसा है। दूसरे पर मेघालय का कोंगथोंग और तीसरे पर तेलांगना का पोचमपल्ली गांव हैं। चौथे पर अमेरिका और 5वें पर लंदन का एक गांव है।
फॉरेस्ट टूरिज्म
मप्र में 11 नेशनल पार्क, 24 वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और 6 टाइगर रिजर्व हैं। इनमें हमने बफर में सफर और नाइट सफारी जब शुरू की तो दुनियाभर के टूरिस्ट आने लगे। हर साल करीब दो करोड़ टूरिस्ट आते हैं।
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