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डरें नहीं, इस बार इंदौर तैयार:15 जनवरी के बाद तीसरी लहर की आशंका

शुक्रवार को इंदौर में कोरोना के 22 नए मरीज मिले। इतने मरीज तीन महीने बाद आए हैं। इससे पहले 23 सितंबर को 33 मरीज मिले थे। इधर, कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की अाशंका के बीच संभागीय समीक्षा बैठक हुई। स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने कहा कि 15 जनवरी के बाद केसेस बढ़ सकते हैं। इंतजाम कम नहीं पड़ना चाहिए।

भास्कर ने मौजूदा व्यवस्था की पड़ताल की तो सामने आया कि इस बार पिछली दोनों लहर के मुकाबले हमारी तैयारी काफी बेहतर है। 95% आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका है। निजी मिलाकर 40 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट तैयार हैं और दवाई आदि को लेकर भी स्थिति बेहतर है। इसके अलावा 1100 डॉक्टरों की व्यवस्थाएं की हैं। 800 डॉक्टरों के इंटरव्यू लिए जा रहे हैं। एक हजार टेक्नीशियंस और छह हजार लोगों का स्टाफ रखा है।

सैत्या पर जताई नाराजगी

बैठक में त्रिपाठी ने सीएमएचओ डाॅ. बीएस सैत्या से अर्बन हेल्थ मिशन के तहत नए संजीवनी क्लिनिक के बारे में पूछा तो डीएचओ बोले इसकी जानकारी नोडल अधिकारी के पास है। इस पर त्रिपाठी ने नाराजगी जताई कि जिनसे जुड़े काम हैं, उन्हें बुलवाना चाहिए था।

विदेशों से आए 6 और मरीजों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का संदेह

विदेशों से आए 6 और मरीजों में ओमिक्रॉन वैरिएंट होने का संदेह है। इनके सैंपल भी निजी लैब भेजे थे, जहां इनमें ओमिक्रॉन म्यूटेंट की बात सामने आई है। इससे पहले दो और मरीजों के सैंपल दिल्ली भेजे गए थे। प्रशासनिक अफसर भी इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे। सभी एनसीडीसी की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जो शनिवार को आ सकती है।

ओमिक्रॉन के लक्षण समान ही हैं पहले की तरह ही इलाज

उधर, नेशनल टास्क फोर्स और जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप ने नए वैरिएंट को लेकर सभी जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि नए वैरिएंट के लिए भी अलग से कोई इलाज नहीं है। इसका क्लिनिकल मैनेजमेंट उसी तरह करना होगा, जैसा अन्य वैरिएंट का किया गया था। इसका ट्रीटमेंट प्लान पुराने की तरह की होगा।

जिन्हें वैक्सीन लगा है, उन पर नए वैरिएंट का घातक प्रभाव नहीं

कोरोना वायरस हर 3 से 6 माह में स्वरूप बदलता है। सूखी खांसी, हल्का बुखार, थकान ओमिक्रॉन के प्रमुख लक्षण हैं। घबराएं नहीं, जिन्हें टीका लग चुका, उन पर घातक प्रभाव देखने में नहीं आया है। मास्क लगाएं, कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें। - डॉ. वीपी पांडे, एचओडी एमजीएम कॉलेज

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