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क्रिसमस विशेष:198 साल पुराने चर्च में आज भी होती है प्रार्थना, 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिशर्स यहां हथियार संग आते थे

 

इंदौर और महू में हैं 24 गिरिजाघर, एक करीब 200 साल  पुराना। - Dainik Bhaskar
इंदौर और महू में हैं 24 गिरिजाघर, एक करीब 200 साल  पुराना।

यूं तो हर चर्च ‘यीशु’ का घर है, लेकिन इंदौर और महू में ऐतिहासिक महत्व वाले भी चर्च हैं। 150 से 200 साल पहले ब्रिटिश काल में बने इन गिरिजाघर का आर्किटेक्चर और इंटीरियर देखने काबिल है। कहीं इनकी इमारत पुराने वक्त की निशानदेही करा रही है तो कहीं 198 साल बाद भी उन गिरिजाघर में रखा फर्नीचर अपनी मजबूती और खूबसूरती बयां कर रहा है। इंदौर शहर में करीब 17 और महू में 7 चर्च हैं।

1823 में बना था 45 हजार रुपए में

मालवा प्रांत का पहला और सबसे पुराना चर्च है महू का ‘क्राइस्ट चर्च’। 1823 में महज 45 हजार में बने इस चर्च में आज भी प्रार्थना होती है। इंचार्ज रिटा. मेजर पॉल कहते हैं चर्च में हथियार ले जाने की मनाही आज भी है, लेकिन 1857 की क्रांति के बाद सैनिकों को चर्च में हथियार लाने की छूट दी गई थी।

काले पत्थर से बना खूबसूरत चर्च

इंदौर में यूरोपियन स्टाइल में व्हाइट चर्च (सेंट एंस) 1857 में बना। यहां निर्माण के समय का फर्नीचर और डायस अब भी है। इसके बाद 1880 में महू में काले पत्थर से नायाब आर्किटेक्चर वाला चर्च ऑफ स्कॉटिश बना। महू में सेक्रेड हार्ट चर्च 1886 में बना। यहां प्रभु का क्राइस्ट भी निर्माण के समय का ही है।

रंग के कारण नाम पड़े!

बी.ए. अलवारिस कहते हैं कि 1869 में इंदौर में एक चैपल (छोटा प्रार्थना स्थल) बना और बाद में उसी स्थान पर संत फ्रांसिस असिसी कैथड्रल चर्च (रेड चर्च) अस्तित्व में आया। संभवत: चर्च के नाम उनके रंग के हिसाब से पड़े होंगे। जिस पर गेरू पोता गया वह रेड चर्च कहलाया, चूने वाला व्हाइट चर्च और पीली दीवारों वाले चर्च को प्रेस बेटेरियन चर्च ‘मसीह मंदिर’ (1926) कहा गया।

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