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यह है हमारा इंदौर:कोविड में माता या पिता को खोने वाले 468 बच्चों को समाजसेवी हर माह दे रहे 9.36 लाख की मदद

 

1 साल में देंगे 1.12 करोड़ रुपए। अलग-अलग स्कूल और कॉलेजों में 40 लाख रुपए से ज्यादा की फीस हुई माफ। - Dainik Bhaskar
1 साल में देंगे 1.12 करोड़ रुपए। अलग-अलग स्कूल और कॉलेजों में 40 लाख रुपए से ज्यादा की फीस हुई माफ।

कोविड में माता-पिता को खोने वाले 468 बच्चों पर नियमों की ऐसी मार थी कि सरकारी मदद नहीं मिल सकती थी। ऐसे में हमारे इंदौर के समाजसेवी आगे आए बच्चों को हर माह 9.36 लाख की मदद मिलना शुरू हो गई। एक साल में कुल एक करोड़ 12 लाख की मदद मिलेगी। हर बच्चे को दो हजार रुपए प्रतिमाह की मदद ये समाजसेवी दे रहे हैं।

करीब 300 बच्चों को मदद अग्रवाल समाज द्वारा की जा रही है तो वहीं सौ बच्चों की मदद क्रेडाई संगठन द्वारा हो रही है और वहीं बाकी 68 बच्चों को अलग-अलग दानदाता अपने स्तर पर मदद कर रहे हैं। अग्रवाल समाज ने तो तीन साल तक मदद देने का वादा किया हुआ है। एक कारोबारी ने 13 बच्चियों को गोद लिया है।

उनका हेल्थ इंश्योरेंस 5-5 लाख का कराने के अलावा उनकी पूरी शिक्षा और शादी कराने तक की जिम्मेदारी इन्होंने ली हुई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला व बाल विकास रामनिवास बुदौलिया बताते हैं कि अधिकांश समाजसेवी हर साल इस व्यवस्था को देखते हुए इसे आगे बढ़ाने का बोल चुके हैं। हमारी कोशिश है कि बच्चों के अपने पैरों पर खड़े होने तक यह मदद मिलती रहे।

  • 14.50 लाख का होम लोन तक भरा, घर की कुर्की रुकी
  • 300 से ज्यादा बच्चों को फीस में दिलाई गई राहत

एक बच्चे ने कलेक्टर मनीष सिंह को बताया था कि कोविड में पिता का निधन हो गया। घर पर 14.50 लाख का होम लोन है, कुर्की हो जाएगी। इस पर कलेक्टर ने समाजसेवियों की मदद से पूरा होम लोन ही भरवा दिया। इसी तरह एक बालक को उसके पिता ने कर्ज पर बाइक दिलाई थी। बाइक की बची हुई राशि भी भरवा दी।

स्कूल व कॉलेज में पढ़ रहे 300 से ज्यादा बच्चों की फीस भी संबंधित स्कूल व कॉलेज प्रबंधन से बात कर जिला प्रशासन माफ करवा चुका है। यह राशि ही 40 लाख से ज्यादा की होती है। इसमें कुछ फीस स्कूल व कॉलेज प्रबंधन ने माफ की तो बाकी हिस्सा समाजसेवियों द्वारा भर दिया गया।

सरकारी नियमों में कई पेंच

कोविड के लिए सीएम ने कोविड केयर योजना शुरू की थी, जिसमें हर माह पांच हजार रुपए का प्रावधान है, लेकिन इसमें माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों को ही शामिल किया गया। इस योजना में केवल 53 बच्चों को ही लिया गया। इसी तरह फास्टर केयर योजना महिला व बाल विकास की भी चलती है। इसमें हर माह दो हजार रुपए की आर्थिक सहायता का प्रावधान है, लेकिन इसमें केवल 42 बच्चों के लिए ही बजट था।

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