- शनि अमावस्या पर हनुमानजी की पूजा से कम होती है साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों की तकलीफ
4 दिसंबर को अगहन महीने की अमावस्या शनि पूजा के लिए विशेष रहेगी। शनि को न्याय का देवता माना जाता है। ज्योतिषीयों का कहना है कि साढ़ेसाती में अच्छे-बुरे कर्मों का फल मिलता है। इसलिए शनि को प्रसन्न करना जरूरी है। इसके लिए शनि अमावस्या पर महत्वपूर्ण विशेष पूजा जरूरी होती है।
शनि अमावस्या यानि शनिश्चरी अमावस्या भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए खास दिन होता है। शनि भगवान को खुश करने के लिए शनि अमावस्या का दिन अच्छा होता है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनि की वक्री दृष्टि का अशुभ असर भी कम हो जाता है और परेशानियों से छुटकारा मिलने लगता है।
भगवान शिव और हनुमानजी की पूजा
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि शनि संबंधित सभी दोषों और कष्ट दूर करने के लिए शनि देवता के साथ भगवान शिव की भी आराधना करें। इसके लिए शिव सहस्रनाम और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शिवजी के साथ हनुमानजी की पूजा भी फायदेमंद होती है। इसके लिए हनुमान मंदिर में गुलाब के फूल की माला चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक लगाना चाहिए।
पीपल पूजा और दीपदान का महत्व
शनि अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से बहुत लाभ होता है। इस अमावस्या पर कच्चे दूध में जौ, तिल, चावल और गंगाजल मिलाकर पीपल में चढ़ाएं और दीपक जलाएं। इससे फायदा होगा। पीपल में जल चढ़ाने के बाद उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद दीपदान भी करना चाहिए।
शनि देव को तिल के तेल का दीपक
शनि अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा सफेद अपराजिता और शनिदेव की पूजा नीले फूलों से करनी चाहिए। इसके बाद तिल के तेल का दीपक लगाएं। ऐसा करने से दुश्मनों पर जीत मिलती है और परेशानियां कम होती हैं। इस दिन श्रद्धा के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान देने की भी परंपरा है।
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