हाई कोर्ट ने नगर विकास योजना को तैयार किए जाने की प्रक्रिया को लेकर दायर रिट पिटिशन को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि मास्टर प्लान बनाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह बिलकुल सही है। मास्टर प्लान के निवेश क्षेत्र की जमीनों का जो लैंडयूज है, उसमें कितना बदलाव आ चुका है, इसका अलग से नक्शा जारी करने की जरूरत नहीं है।
इसके लिए अलग से नोटिफिकेशन जारी कर प्रकाशित करने की भी आवश्यकता नहीं है। याचिका प्री-मेच्योर है। इसे खारिज किया जाता है। याचिका खारिज होने के साथ ही निवेश क्षेत्र में 79 गांवों को शामिल किए जाने को लेकर अब कोई रुकावट नहीं है।
जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ ने पिछले दिनों सुनवाई पूूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। टीएंडसीपी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की। हाई कोर्ट के इस आदेश का फायदा न केवल इंदौर बल्कि प्रदेश के उन सभी जिलों को मिलेगा, जहां पर मास्टर प्लान बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
याचिका में मांग की गई थी कि 1 जनवरी 2008 को मास्टर प्लान के रूप में जो निवेश क्षेत्र का नक्शा जारी किया था, उसमें अब की स्थिति में काफी बदलाव आ चुका है। लैंडयूज के हिसाब से कितनी जमीनों का उपयोग हुआ है, उसका रजिस्टर भी सार्वजनिक किया जाए।
टीएंडसीपी की ओर से यह दिया गया जवाब
- निवेश क्षेत्र के लैंडयूज फ्रीज होकर प्रकाशित भी किए जा चुके हैं।
- 79 गांव इसमें शामिल किए जा रहे हैं, जिनके दावे, आपत्ति बुलाकर उनका निराकरण भी किया जा चुका है।
- इन गांवों में लैंडयूज का निर्धारण अभी किया जाना बाकी है।
- ये काम टीएंडसीपी अधिनियम की धारा 15 के तहत कर रहे हैं।
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