ड्रग तस्करी में पकड़ी गई पूर्व एयर होस्टेस मानसी सिंह ने स्वीकार किया है कि वह मुंबई से एमडी ड्रग 31 दिसंबर को होने वाली पार्टियों आदि में खपाने के लिए लेकर आ रही थी। उसकी इस स्वीकारोक्ति के साथ साल की आखिरी रातों का डरावना सच फिर सामने आ गया है। भास्कर ने पिछले पांच सालों के 26 से 31 दिसंबर के बीच के आंकड़े खंगाले तो काफी चौंकाने वाली बात सामने आई।
हालत यह है कि इस दौरान ड्रिंक एंड ड्राइव के 600 केस दर्ज हुए हैं। विभिन्न दुर्घटनाओं में 14 लोगांे की मौत हुई है, जबकि दर्जनों घायल हुए। इसी तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि इस दौरान 50 लाख से ज्यादा की अवैध शराब और 30 लाख से ज्यादा की ब्राउन शुगर, गांजा व नशे की अन्य दवाइयां पकड़ी गई हैं। फिलहाल पुलिस के पास कोई प्लान नहीं है कि इस बार इसे कैसे कम कर सकते हैं।
पांच सालों के आखिरी सात दिन ऐसे बीते हैं
साल- 2016- पार्टी के लिए मंगवाई 5 लाख की अवैध विदेशी शराब पकड़ी (24 हजार तक की एक बॉटल थी)। तीन आरोपी पकड़ाए, जो मेडिसिन और फ्रूट के कार्टून में भरकर यह शराब लाते थे।
30 ड्रिंक एंड ड्राइव के केस बने।
30 दिसंबर को 1500 एल्प्राजोलम व 400 बॉटल फोरेक्स के साथ 4 गिरफ्तार।
साल- 2017 धार रोड पर साल के आखिरी दिन 100 की रफ्तार से गाड़ी चला रहे थे। चौंकाने वाली बात स्पीड कम रखने का बोर्ड लगा था। इसमें दो की मौत हुई थी।
142 पकड़े गए 31 दिसंबर को
थर्टी फर्स्ट की नाइट को 142 लोगों को पकड़ा। कुछ को माफी दी, कुछ जेल भेजे गए।
साल- 2018 थर्टी फर्स्ट की नाइट को ही 5 सड़क हादसे सामने आए, जिसमें 4 की मौत हुई।
साल- 2019 कोरोना के कारण सख्ती थी, बावजूद युवतियों से छेड़छाड़ की 2 घटनाएं सामने आई।
साल- 2020 इंदौर में ड्रग रैकेट का बड़ा खुलासा हुआ। ड्रग वाली आंटी को पुलिस ने जेल भेजा। दो अन्य सागर और विक्की गिरफ्त में आए।
- 04 दुर्घटना में चार मौत, कुछ में वजह शराब।
- तीन दिन में तीन हत्या हुई। (खजराना, छत्रीपुरा, कनाड़िया)
- 02 सब बंद था फिर भी छेड़छाड़ के केस।
- अलग-अलग रोड एक्सीडेंट में तीन की मौत हुई।
- 06 बार व पब पुलिस को बंद कराने पड़े।
- 3.5 लाख रुपए की ब्राउन शुगर के साथ 3 आरोपी गिरफ्तार किए गए।
इस साल अब तक 500 से ज्यादा केस ड्रिंक एंड ड्राइव के
ट्रैफिक विभाग के मुताबिक कोरोना काल में 2020 में जहां मात्र 154 केस ड्रिंक एंड ड्राइव के बने थे। इस साल अब तक यह आंकड़ा 500 पार कर चुका है। नवंबर तक ही 472 केस ट्रैफिक पुलिस बना चुकी है। 2019 में यह संख्या 300 के करीब थी। साल के आखिरी दिनों में सबसे ज्यादा केस आते हैं।
नशे के कारण शर्मिंदा युवाओं से ज्यादा माता-पिता होते हैं
कोविड काल में नशा जरूर कम था, लेकिन अब फिर इस तरह के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। हम जब ऐसे लोगों को पकड़ते हैं तो उस समय उनकी स्थिति भी बात करने की नहीं होती, लेकिन कार्रवाई के बाद उनके माता-पिता ज्यादा शर्मिंदा होते हैं। - उमाकांत चौधरी, डीएसपी, ट्रैफिक
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