- शनैश्चरी अमावस्या पर तिल स्नान से शनि दोष में मिलती है राहत और पीपल पूजा से संतुष्ट होते हैं पितर
4 दिसंबर को अगहन महीने की अमावस्या रहेगी। इस दिन शनिवार होने से इसका फल और बढ़ गया है। जिससे इसे शनैश्चरी या शनिचरी अमावस्या कहा जाएगा। शनिवार को अमावस्या तिथि दोपहर करीब 1.15 तक रहेगी। इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान का महत्व रहेगा। इस दिन तीर्थ स्नान करने या घर पर ही नहाने के पानी में पवित्र नदियों का जल मिलाकर नहाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
अगहन अमावस्या का महत्व
इस दिन पितरों के साथ भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा का विधान है। अगहन महीने के देवता भगवान विष्णु होते हैं और शनैश्चरी अमावस्या पर शिव जी की विशेष पूजा का भी विधान बताया गया है। इन देवताओं की पूजा से हर तरह के दोष और पाप खत्म हो जाते हैं। अगहन अमावस्या पर किए गए पुण्य कर्म कई गुना शुभ फल देने वाले होते हैं। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का भी विधान है।
शनि अमावस्या पर क्या करें
इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। संक्रमण से बचने के लिए घर पर ही पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर नहाएं। इसके बाद श्रद्धा के मुताबिक दान करने का संकल्प लेना चाहिए। फिर जरुरतमंद लोगों को दान देना चाहिए। इस दिन तेल, जूते-चप्पल, लकड़ी का पलंग, छाता, काले कपड़े और उड़द की दाल का दान करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म हो जाता है।
तिल स्नान से दूर होंगे दोष
शनिचरी अमावस्या पर पानी में गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल के साथ तिल मिलाकर नहाना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह के दोष दूर होते हैं। शनिचरी अमावस्या पर पानी में काले तिल डालकर नहाने से शनि दोष दूर होता है। इस दिन काले कपड़े में काले तिल रखकर दान देने से साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही एक लोटे में पानी और दूध के साथ सफेद तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाने से पितृ दोष का असर कम होने लगता है।
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