आज, 28 दिसंबर को भारत के दो उद्योगपति स्वर्गीय धीरूभाई और रतन टाटा का जन्मदिन है। धीरूभाई का जन्म 1932 में गुजरात के चोरवाड़ा में हुआ था। रतन टाटा का जन्म 1937 में मुंबई में हुआ था। ज्योतिष के नजरिये से इन दोनों की कुंडली एक जैसे दो राजयोग बन रहे थे। इन योगों के नाम कुलदीपक योग और शत्रुहंता योग हैं। इन दोनों योगों की वजह से इन्हें उद्योग जगत में अपार सफलता मिली। दोनों कुंडलियों में एक बात और समान थी। वो ये कि इनकी कुंडलियां धनु लग्न की थी। पुरी, बनारस और उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों से जानते हैं, किन ग्रहों ने बनाया इनको इतना खास।
धीरू भाई के सितारे
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इनकी कुंडली के पहले घर में धनु राशि के साथ सूर्य और चंद्रमा थे। ये दोनों अपने मित्र ग्रह की राशि यानी धनु में हैं। वहीं गुरु ग्रह लग्न का स्वामी होकर कुंडली के दसवें भाव में होने से कुलदीपक योग बना रहा है। इसके अलावा पांचवे और छठे भाव के स्वामी एक दूसरे से चौथी और दसवीं राशि में मौजूद है। ये स्थिति शंख नाम का राजयोग बनाती है।
इनकी कुंडली में सुख और भाग्य का स्वामी भी एक-दूसरे से चौथी, दसवीं राशि में होकर काहल नाम का राजयोग बना रहे हैं। इन बड़े योगों के कारण ही धीरू भाई को ऐतिहासिक सफलता मिली। साथ ही इन राजयोगों की वजह से मृत्यु के बाद भी इनकी संतानों को भी लाभ मिल रहा है।
रतन टाटा की कुंडली
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के मुताबिक इनकी कुंडली के पहले घर में धनु राशि के साथ सूर्य, बुध और शुक्र हैं। शुक्र और बुध की वजह से इनकी कुंडली में कुलदीपक योग बन रहा है। शुक्र के कारण शत्रुहंता योग भी इनकी कुंडली में बन रहा है। इस कारण इन्हें कामकाज में रुकावटों के बावजूद सफलता मिली। वहीं, सूर्य और चंद्रमा से वरिष्ठ नाम का एक और राजयोग बन रहा है। इनकी नवमांश कुंडली में गुरु, बुध और शुक्र अपनी ही राशियों में मौजूद है साथ ही मंगल उच्च राशि में कर्म भाव में है। ग्रहों की ये स्थिति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता देती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.मनीष शर्मा के मुताबिक धीरू भाई का जन्म पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हुआ था। जिसका स्वामी शुक्र है। इनकी कुंडली में शनि खुद की राशि मकर में था और राहु भी मित्र राशि कुंभ में होने से इन्हें पैसा और संपत्ति मिली। सूर्य और चंद्र की युति धनु राशि में होने से इन्हें देश-विदेश में ख्याति मिली। रतन टाटा की जन्म राशि तुला है। उनका जन्म नक्षत्र विशाखा है, जिसका स्वामी गुरु और राशि स्वामी शुक्र है। साथ ही शनि अपनी मित्र राशि मीन में मौजूद है। इन्हें शनि की वजह से सफलता मिली।
क्या कहता है अंक ज्योतिष
धीरू भाई की जन्म तारीख 28-12-1932 है। इनको जोड़ने पर मूलांक और जन्मांक दोनों 1 ही होता है। इस अंक का स्वामी सूर्य है। इस कारण इन्होंने अपनी मेहनत से बड़ा बिजनेस खड़ा किया। वहीं, रतन टाटा की जन्म तारीख 28-12-1937 है। इसको जोड़ने पर मूलांक 7 और जन्मांक 1 होता है। मूलांक 7 का स्वामी केतु और जन्मांक का स्वामी सूर्य है। इन ग्रहों की वजह से इन्हें जीवन में परेशानियों के बाद सफलता मिली। सूर्य के प्रभाव से इन दोनों को सरकार से भी मदद मिली। केतु की वजह से रतन टाटा के जीवन में बड़ी सफलताओं का दौर आया।
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