पूरी गीता को एक वाक्य में कहें तो कर्मयोग का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। हम गीता के कर्मयोग में विश्वास रखने वाले लोग हैं। हम आक्रमण सहते भी नहीं हैं और आक्रमण करते भी नहीं हैं, लेकिन चीन पाकिस्तान के समर्थन में आक्रमण करता है तो हम तैयार हैं। वे हमें युद्ध के मुहाने पर खड़े देखना चाहते हैं तो हम वहां भी खड़े हैं।
यह बात जगद्गुरु शंकराचार्य, पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मंगलवार को गीता भवन में चल रहे 64वें अखिल भारतीय गीता जयंती महोत्सव में कही। पादुका पूजन रामविलास राठी, प्रेमचंद गोयल, महेशचंद्र शास्त्री, मनोहर बाहेती, हरीश जाजू, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग आदि ने किया।
सुबह मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती पर्व पर सैकड़ों भक्तों ने गीता के 18 अध्यायों का सामूहिक पाठ किया। आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में विद्वानों ने विष्णु सहस्रनाम के पाठ से सहस्रार्चन भी किया। गोपालदास मित्तल, कैलाश शाहरा, पं. कृपाशंकर शुक्ला, रामेश्वर असावा आदि ने संतों का स्वागत किया।
प्रवचन में संतों ने दी सीख
- जगद्गुरु विष्णु स्वामी वल्लभाचार्य महाप्रभु संप्रदायाचार्य गोस्वामी दिव्येश कुमारजी महाराज ने कहा- गीता का श्रवण और पठन हमें मार्गदर्शन देता है। गीता निराशा से आशा की ओर ले जाती है।
- महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने गीता की महत्ता बताई। स्वामी रामदयाल महाराज ने कहा- गीता ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो पठन, श्रवण और मनन मंथन करने वालों को मुक्ति प्रदान करता है। गीता मौत को मोक्ष में बदलने का ग्रंथ है।
- साध्वी भूमा भारती ने कहा- गीता का ज्ञान सबसे श्रेष्ठ है। ज्ञान के साथ भक्ति भी जरूरी है।
- महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी, महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद ने भी प्रवचन दिए।
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