कहानी - अयोध्या में 14 वर्षों के बाद श्रीराम लौट रहे थे। इस बात की सूचना हनुमान जी नंदीग्राम में भरत जी को दे चुके थे। भरत बहुत प्रसन्न थे।
सूचना मिलने के बाद भरत ने पहला काम ये किया कि वे राजमहल पहुंचे और तीनों माताओं कौशल्या, कैकयी और सुमित्रा को ये बात बताई। फिर गुरुजन, मंत्री और अन्य लोगों बताया कि श्रीराम आ रहे हैं। सभी प्रसन्न थे, व्यवस्थाएं जुटाई जाने लगीं।
सभी ने भरत की प्रशंसा की कि आपने बड़े धैर्य से नंदीग्राम में तप किया, ये उसी का फल है कि श्रीराम आ रहे हैं। भरत ने कहा कि श्रीराम का स्वागत मैं अकेले नहीं, बल्कि हम सभी मिलकर करेंगे। मुझे तो बड़े भाई के सामने में जाने में भी शर्म आती है, क्योंकि उनका ये वनवास मेरी वजह से हुआ है।
सीख - इस प्रसंग में जो सबसे अच्छा संदेश है, वह यह है कि जैसे ही श्रीराम के आने सूचना भरत को मिली तो उन्होंने सबसे पहले ये बात अपनी तीनों माताओं को बताई। हमारे पारिवारिक जीवन में जब भी कोई घटना घटे तो सबसे पहले परिवार के प्रत्येक सदस्य को उसकी सूचना देनी चाहिए। कुछ लोग कई विषयों पर घर के लोगों से बात नहीं करते हैं और अचानक सूचना दे देते हैं। परिवार में महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। परिवार में सभी सदस्य समान होते हैं। महिलाओं को भी घर की हर बात की जानकारी देनी चाहिए।
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