गीता का संदेश ज्ञान और भक्ति के समन्वय का विलक्षण और अनूठा संदेश है। भक्ति के साथ ज्ञान को भी भगवान की प्राप्ति का माध्यम माना गया है, लेकिन अनेक विद्वानों ने केवल भक्ति को ही प्राथमिकता दी है। यह बात जगद्गुरु वल्लभाचार्य गोस्वामी वल्लभ राय महाराज (सूरत) ने गीता भवन में चल रहे गीता जयंती महोत्सव में गुरुवार को कही।
इसमें जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजयशंकर मेहता ने कहा- कोरोना ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है। एक ओर जीवन है तो दूसरी ओर जीविका। हम सब लोग शरीर को ही मुख्य मानते हैं, जबकि गीता में आत्मा को प्रमुख कहा गया है। गीता के संदर्भ में हमें वर्ष 2022 में तीन प्रमुख बातों का ध्यान रखना होगा- सावधानी, परिवर्तन और अज्ञात।
इसका आशय यह हुआ कि हमें आने वाले समय में पूरी तरह से सावधान रहना होगा। परिवर्तन जीवन का नियम है और ताजा संदर्भों में निश्चित ही अनेक बदलाव हमें देखना होंगे। अज्ञात इसलिए कि हम खुद नहीं जानते और दूसरे कोई भी नहीं जानते कि आने वाले समय में हमारे सामने क्या-क्या विकट परिस्थितियां आएंगी, लेकिन गीता जीवन के प्रति आशान्वित होने का संदेश देती है। संत अमृतराम रामस्नेही, स्वामी रामदयाल, स्वामी परमानंद, स्वामी असंगानंद व अन्य संतों के भी प्रवचन हुए।
अग्रसेन धाम में भी गीता जयंती महोत्सव
फूटी कोठी स्थित अग्रसेन धाम में चल रहे 24वें अखिल भारतीय गीता जयंती महोत्सव में गुरुवार को गोंडा के पं. प्रहलाद मिश्र ने कहा- गीता मनुष्य को व्यवहार करना सिखाती है। स्वामी हरियोगी ने कर्म, अकर्म, विकर्म की व्याख्या की। स्वामी दिव्येश्वर राम ने कहा- गीता से युवाओं को जोड़ना चाहिए। प्रारंभ में ओमप्रकाश अग्रवाल, रमेश ऐरन, दिनेश दीक्षित ने संतों का स्वागत किया। डॉ. होरा ने भजन प्रस्तुत किए।
0 टिप्पणियाँ