इंदौर कान्ह नदी का पानी जो आगे जाकर शिप्रा में मिलता है, उसमें अशुद्धि के संबंध में जानकारी सामने आने के बाद कलेक्टर श्री मनीष सिंह ने आज धारा-144 दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसमें 6 अधिकारियों की टीम बनाई गई है, जो कान्ह नदी में मिलने वाले अशुद्ध पानी की जांच करेगी और 10 दिन में यह कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। एडीएम श्री पवन जैन की अध्यक्षता में बनाई गई। इस कमेटी को यह भी अधिकार दिए गए हैं कि कान्ह नदी को अशुद्ध करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ भी प्रदूषण नियंत्रण के तहत कार्यवाही की जाए।
कलेक्टर द्वारा जो आदेश जारी किया गया है उसमें कहा गया है कि कान्ह नदी इन्दौर शहर से निकलकर ग्रामीण क्षेत्र होते हुए उज्जैन जिले में पवित्र क्षिप्रा नदी में मिलती है। कान्ह नदी में प्रवाहित होने वाले जल की शुद्धता, क्षिप्रा नदी में मिलने के कारण महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उज्जैन जिले में क्षिप्रा तट पर कई स्थानों पर पवित्र स्नान किए जाते हैं। विगत वर्षों में नगर निगम इन्दौर द्वारा अमृत परियोजना एवं स्वयं की निधि से सीवरेज ट्रीटमेंट को लेकर अनेकों कार्य किए गए तथा विगत डेढ़ वर्ष में पृथक-पृथक झोनवार हुए कार्यों को आपस में सीवरेज लाईन के माध्यम से जोड़ा गया और प्रत्येक झोनों पर प्राईमरी लाईन की कमियों को नई प्राईमरी लाईन डालकर प्रारंभ किया गया है तथा इसी के साथ-साथ कान्ह एवं सरस्वती नदी के किनारे बने लगभग 7 डी सेंट्रलाईज वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट प्रारंभ किए गए।
उक्त सभी प्रयासों से कान्ह नदी का पानी जो कबीटखेडी से होते हुए नगर सीमा से बाहर निकलता है, के बी.ओ.डी. एवं सी.ओ.डी की गुणवत्ता में सुधार आया है। उज्जैन जिले में त्रिवेणी के बहने, क्षिप्रा के जिस स्थान पर कान्ह नदी का जल मिलता है उस स्थल पर देखने में आया है कि कान्ह नदी का जल पूर्णरूप से शुद्ध नहीं है। यह आवश्यक प्रतीत होता है कि यह ज्ञात किया जाए कि उज्जैन क्षिप्रा में मिलने के पूर्व ऐसे कौन से स्थान है, जहां से कान्ह नदी में दूषित जल मिल रहा है। कुम्हेडी के बाहर की तरफ जाने वाला नाला, मांगलिया की ओर से जाने वाले नाले तथा शहर की बाहरी परिधी में स्थित अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक ईकाईयों का पानी अगर कान्ह में मिलता है, तो यह प्रदूषण का कारण बन सकता है। स्पष्टतः पवित्र क्षिप्रा नदी जहां आमजनों द्वारा स्नान किया जाता है और अगर कान्ह नदी के माध्यम से प्रदूषण मिलता है तो वह मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है।
उक्त प्रदूषण के स्त्रोत को पकड़ने के लिए तथा कान्ह के अथवा अन्य अन्य नालों के विभिन्न स्थानों पर पानी की सेम्पलिंग कर गुणवत्ता जांच कराने हेतु समिति बनाई गई है, जो बारिकी से इन्दौर जिले की सीमा के अन्तर्गत भ्रमण करेगी तथा प्रदूषण के स्त्रोत पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी ।
अपर कलेक्टर श्री पवन जैन समिति के अध्यक्ष होंगे। प्रदूषण निवारण मंडल के वैज्ञानिक श्री संजय जैन, महाप्रबंधक उद्योग श्री अजय चौहान, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन श्री मुकेश चतुर्वेदी, सहायक यंत्री नगर निगम श्री आर.एस. देवड़ा तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत इंदौर एवं सांवेर को समिति का सदस्य बनाया गया है।
उक्त समिति 10 दिवस के अन्तर्गत मौका निरीक्षण कर अपना प्रतिवेदन देगी। प्रतिवेदन देने के साथ-साथ समिति अध्यक्ष अपर कलेक्टर श्री पवन जैन को धारा 144 दण्ड प्रक्रिया सहिता 1973 के तहत यह भी अधिकार दिए गये हैं कि इस जांच के दौरान जिस-जिस औद्योगिक इकाई से प्रदूषण कान्ह नदी में होना पाया जाए, उसे मौका पंचनामा तैयार कर मानव स्वास्थ्य के गतिविधियों में हानिकारक मानकर बंद किया जाए तथा प्रदूषण निवारण मंडल के संलग्न अधिकारी से आवश्यक कार्यवाहियां उस विभाग से भी करायी जाए। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
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