नेपागनर से लाया गया तेंदुआ कहां से गायब हुआ था, इसकी जांच संभागायुक्त के आदेश के सात दिन बाद भी अधर में है। अब कमेटी शुक्रवार से इसकी जांच करने का दावा कर रही है। इसमें वन विभाग व जू के अफसरों व कर्मचारियों के बयान हाेंगे। इस सबके बीच कई सवाल अब भी कायम हैं। सात दिन पहले इस तेंदुए काे जब वन विभाग की टीम ने देर शाम जू में रखा था, ताे वह वन विभाग के नवरतनबाग स्थित एरिया में कैसे पहुंच गया?
किसी और जगह क्यों नहीं पहुंचा। टीम पता लगाएगी कि जू आने पर गाड़ी में तेंदुआ था कि नहीं? रास्ते के सीसीटीवी कैमरे भी खंगालेंगे। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा का कहना है कि जांच अभी होना बाकी है। नगर निगम के अधिकारी अभय राजनगांवकर को जिम्मेदारी सौंपी है। तेंदुआ आया, पिंजरे से कैसे भागा।
एकाध दिन में रिपोर्ट मिलने पर स्थिति साफ हो जाएगी। जांच अधिकारी राजनगांवकर ने कहा कि गुरुवार से जांच शुरू कर देंगे। जू प्रशासन ने घायल तेंदुए का इलाज शुरू कर दिया है। उसके पैराें में पैरालिसिस है। उसने खाना-पीना शुरू कर दिया है। वह कुछ दिन में पूरी तरह ठीक हाे जाएगा।
तेंदुआ पिंजरे में, सवाल अब भी बरकरार
Q. नेपानगर से तेंदुआ इंदौर पहुंचा और उसे जू ले जाया गया तो वहां की टीम ने चेक क्यों नहीं किया?
Q. वन विभाग की टीम कैसे गैरजिम्मेदाराना तरीके से जू प्रशासन को बिना बताए तेंदुआ छोड़कर चली गई।
Q. जब तेंदुआ गायब हुआ तब क्यों वन विभाग और जू प्रशासन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहा।
Q. यदि तेंदुआ रास्ते से गायब हुआ तो इसे लेकर आई टीम ने जू में कौन सा तेंदुआ छोड़ा।
Q. जू प्रशासन कह रहा है कि तेंदुआ आया ही नहीं तो फिर जो नवरतन बाग से मिला वह कहां से आया।
Q. इस पूरी लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है। सात दिन बाद उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
लापरवाही किसकी? जिम्मेदार स्वीकारने को तैयार नहीं
हैंडओवर नहीं किया था, इसलिए चेक नहीं किया
जब तेंदुआ लेकर वन विभाग की टीम जू पहुंची थी तो जू प्रशासन को चेक करना था, लेकिन नहीं किया। बिना जांचे गाड़ी अंदर खड़ी करवा दी। प्रभारी यादव का कहना है कि ऑफिशियली हैंडओवर नहीं हुआ था, इसलिए हमने चेक नहीं किया। बगैर बताए वन विभाग की टीम चली गई।
वेटरनरी डॉक्टर ने बिना जांचे लिख दिया तेंदुआ नर है या मादा
नावरा रेंज से पकड़े गए आठ माह के नर तेंदुए को वहां की वेटरनरी डॉक्टर नीलम मोरे ने कागजों में मादा बताकर इंदौर रवाना करवा दिया था। बुरहानपुर डीएफओ प्रदीप मिश्रा ने स्पष्ट किया कि तेंदुआ जब पकड़ा गया था तब बहुत गुस्से में था। उसके पास जाकर जांच करना संभव नहीं था। पकड़ने वाले चौकीदार से पूछा था कि वह नर है या मादा। उसने जैसा बताया डॉक्टर ने कागज में फीमेल लिख दिया।
तेंदुआ वही है, धब्बे मिला लीजिए
वन विभाग की जो टीम तेंदुए को लेकर आई उसे जू प्रशासन को बिना सुपुर्द किए बाहर नहीं जाना चाहिए था। लेकिन टीम ट्रक को परिसर में खड़ा कर रेस्ट करने के लिए रेस्ट हाउस चली गई। एसडीओ यादव का कहना है कि जो तेंदुआ मिला है वही हमने जू छोड़ा था। उसके काले धब्बे मिला सकते हैं।
एक्सपर्ट- वन्यप्राणी व आमजन को खतरे में डालनेे की धाराओं में हो सकता केस
अधिवक्ता मनीष यादव के मुताबिक वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत वन्यप्राणी को रेस्क्यू कर उसे व्यवस्थित छोड़ने की जिम्मेदारी तय है। लापरवाही बरतने, वन्यप्राणी को जोखिम में डालने, भागने पर लोगों की जान खतरे में डालने पर जिम्मेदारों पर कई धाराओं में केस हो सकता है।
डेढ़ दिन में जू पहुंचे 6800 दर्शक
तेंदुआ मिलने के बाद जू में अब डर खत्म हाे चुका है। दर्शकों की चहल-पहल पहले की तरह नजर आने लगी है। तेंदुए के पकड़े जाने के बाद मंगलवार दाेपहर से बुधवार शाम तक डेढ़ दिन में 6800 दर्शक पहुंचे। बड़ी संख्या में बच्चे और महिला दर्शक भी पहुंचे। बुधवार काे 3800 और मंगलवार को 3 हजार दर्शक पहुंचे थे। जू के प्रभारी अधिकारी डॉ. यादव ने बताया कि तेंदुआ मिल चुका है, इसलिए मंगलवार दोपहर से ही दर्शकों के लिए जू खोल दिया गया था। डेढ़ दिन में साढ़े छह हजार लोग पहुंचे।
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