कहानी - ये पूरी सृष्टि कैसे बनी, इसका संचालन कैसे किया जाता है, इस संबंध में शिव पुराण में एक कथा बताई गई है। भगवान विष्णु ने शिव जी की स्तुति करते हुए कहा, 'आप प्रकट हों और बताएं कि इस संसार को कैसे चलाया जाए?'
शिव जी ने कहा, 'विष्णु और ब्रह्मा, आप दोनों मिलकर सृष्टि करेंगे। ब्रह्मा जी आप सृष्टि का निर्माण करना, विष्णु जी आप पालन करना और इस सृष्टि को एक दिन समाप्त भी करना है तो ये काम मैं करूंगा। इसी कार्य भेद की वजह से संसार हमें ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र कहेगा। हम तीनों में भेद नहीं है, लेकिन कर्तव्य और दायित्व की वजह से हमारे नाम अलग और पहचान अलग होगी। एक उमा देवी मेरे साथ, वाग्देवी ब्रह्मा जी के साथ और लक्ष्मी जी विष्णु जी के साथ रहेंगी।'
शिव पुराण की इस कहानी में बताया गया कि कितने व्यवस्थित ढंग से इस सृष्टि को चलाया जा रहा है।
सीख - इस कथा में कार्य विभाजन का बहुत अच्छा उदाहरण दिया गया है। ब्रह्मा, विष्णु और शिव की जो सकारात्मक ऊर्जा है, उसे किस समय कौन से क्षेत्र में लगाना है, ये निर्णय शिव जी ने लिया था। हमारे भीतर भी ऐसी ही ऊर्जा होती है। हमें ये सीखना चाहिए कि हम इस ऊर्जा को व्यवसायिक, पारिवारिक और निजी जीवन में किस तरह संतुलित करके लगाएं। जो अपनी ऊर्जा को सही तरीके से खर्च करना सीख जाएगा, उसे सुख, शांति के साथ ही सफलता भी मिल सकती है।
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