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कान्ह और सरस्वती:STP के साथ फ्लोटिंग आईलैंड, रीफ बैड जरूरी, तब साफ होगी नदी

 

गूगल मैप की मदद से चिह्नित करेंगे गंदगी वाले स्पॉट, एक-एक ट्रीटमेंट प्लांट की जांच करेंगे। - Dainik Bhaskar
गूगल मैप की मदद से चिह्नित करेंगे गंदगी वाले स्पॉट, एक-एक ट्रीटमेंट प्लांट की जांच करेंगे।

कान्ह व सरस्वती नदी को निगम चार महीने भी साफ नहीं रख सका और पानी फिर गंदा नजर आने लगा है। निगम अधिकारी दावा कर रहे हैं कि पानी सिर्फ गंदा नजर आ रहा है, जबकि कांच के ग्लास में लेकर देखेंगे तो साफ दिखेगा। एक्सपर्ट सुधींद्र मोहन शर्मा कहते हैं सिर्फ कहने से पानी साफ नहीं माना जा सकता। इसके लिए निगम को टर्बिडिटी टेस्ट करवाना चाहिए। साथ ही पानी हमेशा साफ बना रहे, इसलिए रीफ बैड लगाए जाएं। इससे पानी की गुणवत्ता में लगातार सुधार होगा।

एसटीपी का पानी कितना साफ?

एक्सपर्ट : एसटीपी से निकलने वाला पानी मापदंडों के आधार पर ही ट्रीट हो रहा है, लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि ट्रीटमेंट प्लांट पूरे समय चलते रहें। अगर थोड़ा पानी भी बिना ट्रीटमेंट के बहकर बाहर आया तो उसमें काई जमेगी और बैक्टीरिया होने से दुर्गंध भी आएगी। इसके लिए सख्त मॉनिटरिंग की जरूरत है।

नदियों का पानी फिर गंदा क्यों हुआ?

अपर आयुक्त संदीप सोनी : तल में सालों पुरानी गाद है। यह पानी ट्रीटमेंट के बाद ही निकल रहा है। हम लगातार कबीटखेड़ी के बाहर और एमआर-10 ब्रिज से कांच के जार में सैम्पल लेकर देखते हैं, पानी साफ ही नजर आ रहा है।

एक्सपर्ट- पानी को सिर्फ कांच के जार में साफ दिखाने से पानी साफ है, यह कहना मुश्किल है। इसके लिए टर्बिडिटी टेस्ट किया जाता है। इसकी वैल्यू अगर 5 से कम है तो ही पानी साफ माना जा सकता है। वैल्यू ज्यादा है, मतलब पानी गंदा है। पानी को साफ करने के लिए रीफ बैड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। फ्लोटिंग आईलैंड सहित कई पौधे लगाए जाते हैं, जो पानी को साफ करते हैं।

पानी की गाद कैसे दूर होगी?

एक्सपर्ट : यह एक लंबी प्रक्रिया है, सालों से गंदा पानी बहने से गाद जमी है। इसके साथ ही उसमें काली मिट्टी की भी बहुत ही महीन परत है। यह सबसे जरूरी है कि पानी में बदबू नहीं आना चाहिए।

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