अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए 9 दिसंबर को लागु हुई पुलिस कमिश्नरी को एक माह पूरा हो गया है। कमिश्नरी के एक माह में अपराध पर नियंत्रण तो नजर नहीं आया, लेकिन ट्रैफिक सुधार की शुरुआत चौराहों पर दिखने लगी है। एसीपी को मजिस्ट्रियल पॉवर तो मिल गए हैं, लेकिन वे कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।
एसीपी की मजिस्ट्रियल कोर्ट भी वर्किंग में नहीं है, न ही गुंडों पर बाउंड ओवर की कार्रवाई शुरू हो पाई है। जहां तक ट्रैफिक सुधार की बात है पीक ऑवर्स में मुख्य मार्गों व चौराहों पर ट्रैफिक अधिकारी व कर्मचारी जनता को नजर आने लगे हैं। कुछ नवाचार जनहित में कमिश्नर ने शुरू किए हैं। इनमें साइबर हेल्पलाइन, थानों पर जनता की सुनवाई का सिस्टम शुरू होना है।
कमियां : अपराधियों में खौफ की अभी भी कमी, कोर्ट बनने के बाद भी सुनवाई नहीं
कमिश्नरी लागू होने के बाद 10 हत्याएं हो चुकी हैं। दिसंबर में 8 हत्या हुई थी, वहीं जनवरी में 2 हत्या हो चुकी है। एक महीने में लूट की 12 घटनाएं। इनमें 4 चेन लूट भी शामिल।
न्यू ईयर पार्टी से पहले 19 लाख की ड्रग्स बरामद की
- 650 से ज्यादा चोरी व गुम मोबाइल तलाशकर जनता को सौंपे।
- 11 सिकलीगर पकड़े, 120 अवैध हथियार जब्त।
- 10 लाख की एमडी ड्रग्स के साथ एयर होस्टेस मानसी सिंह और 9 लाख की एमडी ड्रग्स के साथ नदीम गिरफ्तार।
- 400 पेटी शराब जब्त।
- 52 लापता नाबालिग बच्चों को तलाशा।
- स्पा की आड़ में सेक्स रैकेट का खुलासा। 18 आरोपी गिरफ्तार।
मजिस्ट्रियल पॉवर मिले, लेकिन बाउंड ओवर नहीं हो रहे
सीआरपीसी की धारा के 107, 116 के प्रकरणों में सुनवाई के मजिस्ट्रियल पॉवर एसीपी को मिले हैं लेकिन कोर्ट शुरू न होने से ये प्रकरण कलेक्टर कार्यालय ही जा रहे हैं। एसीपी गुंडे-बदमाशों पर बाउंड ओवर भी नहीं कर पा रहे हैं। इधर डीसीपी को धारा 110 के पॉवर हैं लेकन वे भी इसकी कार्रवाई शुरू नहीं कर सके हैं।
इधर पुलिस कमिश्नर (सीपी) कोर्ट भी शुरू नहीं हुई है। वे महीने भर में केवल एक ही धारा 144 का आदेश जारी कर पाए हैं। इस आदेश के तहत शांति भंग करने जैसे कोई आयोजन नहीं होंगे। सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज चलाने वालों पर कार्रवाई होगी। मकान की छतों पर ईंट, पत्थर, ज्वलनशील पदार्थ जमा करने वालों पर कार्रवाई होगी।
अफसरों के रहने-बैठने की व्यवस्था नहीं
पलासिया में कमिश्नर की कोर्ट के अलावा जूनी इंदौर और सेंट्रल कोतवाली एसीपी की कोर्ट तैयार हो चुकी, लेकिन स्टाफ के अभाव में पूरी तरह से शुरू नहीं हो सकी। कमिश्नरी सिस्टम में शहर में 17 नए अफसरों की पोस्टिंग हुई, लेकिन रहने-बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं है।
सुधार : स्पीड कैच करने वाला इंटरसेप्टर वाहन तैनात, सिग्नल भी ठीक किए
कमिश्नरी सिस्टम में सबसे मुख्य बदलाव ट्रैफिक में नजर आया है। शहर की प्रमुख सड़क व चौराहों पर पीक ऑवर्स में जवान नजर आने लगे हैं। 1. चौराहों पर जवानों की तैनाती। अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी चार्ट। 2. प्रमुख 40 चौराहों पर लेफ्ट टर्न सुधारे। अब यहां जाम नहीं लगता। 3. 800 मीटर दूर से स्पीड कैच करने वाला इंटरसेप्टर वाहन तैनात। 4. बॉडी वार्न कैमरे और हैंड हेल्ड चालान डिवाइस के साथ जवान करते हैं चेकिंग। 5. चौराहों के आरएलवीडी कैमरों से चालान पर सख्ती से कार्रवाई।
ट्रैफिक सुधार के लिए यह कमियां दूर करना भी जरूरी
1. ट्रैफिक के 10 थाने चाहिए, लेकिन सालों से प्रस्ताव अटका पड़ा। 2. ट्रैफिक प्रबंधन के लिए 381 का बल सिर्फ फील्ड में चाहिए। 3. 42 वन वे रूट टूवे इस्तेमाल हो रहे हैं। यहां सुधार जरूरी है। 4. 178 चौराहों में से 57 पर सिग्नल व कैमरे नहीं। 121 चौराहे बदहाल।
जनता : साइबर हेल्पलाइन मिली, शिकायत कहां करें, कुछ स्पष्ट नहीं
तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराधों को लेकर पुलिस कमिश्नर ने साइबर हेल्पलाइन नंबर (7049124445) जारी किया है। इस पर तत्काल एक्शन होता है। बैंक से अधिकारी संपर्क कर खातों से ट्रांजेक्शन होने वाली राशि भी रुकवाते हैं। उधर, कमिश्नरी प्रणाली में नया सेटअप लोगों को स्पष्ट नहीं है। जोन सिस्टम को लेकर अधिकारियों ने सेटअप तय कर लिए लेकिन उसका बोर्ड लगाकर कोई क्लासिफिकेशन नहीं किया। आम जनता पूर्व-पश्चिम क्षेत्र के झमेले में अफसरों के चक्कर लगाकर परेशान है। जोन सिस्टम जनता को समझ नहीं आ रहा।
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