आमतौर पर आईआईटी ग्रेजुएट यानी किसी मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर नौकरी, लेकिन इंदौर में सिमरोल के पास जगजीवन गांव में रहने वाले शुभम चौहान ने गुवाहाटी आईआईटी से इलेक्ट्रॉनिक टेलीकम्युनिकेशन में डिग्री हासिल करने के बाद भी कुछ और राह चुनी। 2017 में छह महीने दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों में से एक एक्सचेंजर में नौ लाख रुपए के पैकेज पर काम किया।
पढ़ाई का कर्ज 49 लाख रुपए चुकाया और फिर नौकरी छोड़ खेती के इरादे से गांव की राह पकड़ी। चार बीघा जमीन की कुल जमा पूंजी पर लोन लेकर एक पॉली हाउस खोला। महज दो साल बाद वह सालाना 16 से 18 लाख रुपए की शिमला मिर्च और खीरा की पैदावार कर रहे हैं।
गुणवत्ता इतनी अच्छी कि जयपुर, दिल्ली, वड़ोदरा, अहमदाबाद की मंडियों से एडवांस बुकिंग हो रही है। एक एकड़ के पॉली हाउस में शुभम सालाना 150 टन तक खीरा की पैदावार कर लेते हैं। जमीन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए रोटेशन में खीरे के अलावा शिमला मिर्च भी लगाते हैं। शुभम कहते हैं, गांव में अपना कुछ करने का सपना था, इसलिए आईटी की नौकरी छोड़ दी।
कोरोना में आपदा को अवसर बनाया
कोविड में मंडियां बंद होने से कारोबार बंद हुआ। लोन की किस्त ड्यू हो गई। एक एकड़ के पॉली हाउस से कर्ज उतारना आसान नहीं था। नए पॉली हाउस में 40 लाख का खर्च था। हिम्मत नहीं हारी। अनलॉक होते ही पुराना सामान खरीदकर बची हुई जमीन पर खुद ही देसी पॉली हाउस जैसा स्ट्रक्चर तैयार किया है। उसमें खीरे की फसल अगले कुछ दिनों में तैयार हो जाएगी।
गांव के पास आईआईटी की घोषणा ने जगाए सपने
2008 में शुभम के गांव के पास इंदौर आईआईटी खोलने की घोषणा हुई। तब 7वीं में पढ़ रहे शुभम के मन में ड्राइवर पिता ने सपना जगाया कि तुम्हें यहीं पढ़ना है। 2013 में आईआईटी गुवाहाटी के लिए शुभम का चयन हुआ। 1 एकड़ के पॉली हाउस की कमाई से संतुष्ट शुभम की अगली प्लानिंग एंड यूजर तक सीधे पहुंचने की है। वे कहते हैं लगन, मेहनत से करो तो हर काम अच्छा।
0 टिप्पणियाँ