मनोरोग विभाग की ओपीडी में 50% मरीज डिप्रेशन और एंग्जाइटी के आ रहे हैं। इनमें भी 60% वे लोग हैं, जिन्हें कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक व मानसिक नुकसान उठाना पड़ा है। इनमें कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है। एम्बुलेंस की आवाज से परेशान हो उठते हैं।
चिकित्सकीय भाषा में इसे पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) कहते हैं। वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रामगुलाम राजदान कहते हैं कि किसी को खोने का गम, व्यवसाय बंद होने या आर्थिक नुकसान के कारण ऐसे केस बढ़े हैं। डॉ. पवन राठी कहते हैं कि 20 से 25% लोग नींद नहीं आने की समस्या लेकर आ रहे हैं। जिला अस्पताल की डॉ. निधि जैन ने बताया कि रोज औसत 50 मरीज मानसिक समस्या लेकर आ रहे हैं। हर दूसरे मरीज काे डिप्रेशन या एंग्जाइटी है।
केस 1 अस्पताल के नाम से ही फोबिया हो गया है
- धार की महिला पिछले साल कोरोना की चपेट में आई। पति को कोराना हुआ, हृदयघात से मौत हो गई। अब महिला एम्बुलेंस देख डर जाती हैं। अस्पताल से फोबिया हो गया है।
केस 2 व्यापार में नुुकसान हुआ तो डर बैठ गया
- लॉकडाउन से एक परिवार का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ठप हो गया। दो भाई में से एक को ज्यादा नुकसान हुआ। वह डिप्रेशन का शिकार हो गया। ऐसा डर बैठा कि लहर का नाम सुनते ही घबराने लगा है।
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