महू की उपजेल में हुई गुंडे जीतू ठाकुर की हत्या के मामले में 3 फरवरी को जिला एवं सत्र अपना फैसला सुना सकती है। 23 जनवरी 2007 को जीतू की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब कैदियों से उनके परिजन के मिलने का वक्त रहता है। गुंडे युवराज उस्ताद पर भेष बदलकर जेल में घुसने, गोली मारकर हत्या करने का आरोप है।
अपर सत्र न्यायाधीश धमेंद्र सोनी की खंडपीठ में पिछले दिनों सुनवाई पूरी हो गई थी। युवराज की ओर से सीनियर एडवोकेट अविनाश सिरपुरकर पैरवी कर रहे हैं। बताया जाता है कि युवराज के पिता विष्णु उस्ताद की हुई हत्या का बदला जीतू को मारकर लिया गया था। युवराज ने हत्या के कई दिन बाद नाटकीय अंदाज में मिल क्षेत्र की बस्ती में सरेंडर किया था।
कई संयोग बने थे घटना वाले दिन
- जेल में हुई हत्या वाले दिन जेलर छुट्टी पर थे। हालांकि उन्होंने कई दिन पहले ही छुट्टी का आवेदन दे दिया था। ना केवल जेल में घुसना बल्कि बगैर किसी जांच के रिवॉल्वर लेकर बैरक तक पहुंचना चौंकाने वाला मामला था। वहीं पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए युवराज की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि जिस दिन घटना हुई उस दिन वह महाराष्ट्र के बीड़ की जेल में बंद था।
- जीतू की सजा छह महीने बाद ही खत्म होने वाली थी। हत्या करनी होती तो उसके बाहर आने का इंतजार किया जा सकता था।
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