राजधानी भोपाल में मुरैना से ट्रेन के रास्ते हर रोज कई क्विंटल पनीर की खेप पहुंच रही हैं। पनीर का ट्रांसपोर्ट और पैकिंग इतनी बढ़िया होती है कि खराब होने की गुंजाइश नहीं रहती, लेकिन ज्यादा मुनाफा पाने के लिए दूध में से घी निकालने के बाद पनीर बनाया जा रहा है। इस कारण पनीर उस पैमाने का नहीं होता, जो जरूरी है। पनीर में चिकनाई के लिए उसमें सोया आइल की मिलावट कर दी जाती है। 21 जनवरी को जब्त 8 क्विंटल पनीर में भी तेल की मिलावट पाई गई थी। वहीं 2 दिन पहले जब्त 9 क्विंटल पनीर में भी मिलावट की आशंका है।
भोपाल में मुरैना समेत आसपास के जिलों से पनीर आता है। मुरैना से आने वाला पनीर ग्वालियर से ट्रेन के जरिए भोपाल पहुंचता है और फिर होटल-रेस्टोरेंट और डेयरियों पर सप्लाई किया जाता है। खाने में मिलावट का पता नहीं चल पाता है, लेकिन लैब में टेस्टिंग में सच्चाई उजागर हो रही है।
भोपाल के खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीके दुबे ने बताया कि मुरैना में पनीर अच्छी मात्रा में बनाया जाता है। इसलिए यह भोपाल में भी बिकने के लिए लाया जाता है। देखने में आ रहा है कि चिकनाई के लिए तेल की मिलावट की जा रही है। ताकि ज्यादा मुनाफा मिल सके। पनीर बनाने से पहले दूध में से घी निकाल लिया जाता है। इससे पनीर में चिकनाई कम हो जाती है। इसलिए उसमें आइल मिला दिया जाता है। सोया आइल की बदबू भी नहीं आती है। इससे लोगों को उसका पता नहीं चल पाता। इसी का फायदा पनीर बनाने वाले उठाते हैं।
पैकिंग बहुत बेहतर
मुरैना, ग्वालियर की ओर से आने वाले पनीर की पैकिंग बहुत बेहतर होती है। थर्माकोल की पैकिंग होती है। पनीर ईंट की साइज में होता है। आइस की वजह से पनीर खराब नहीं होता है। 5 दिन में दो बार जब्त हुए पनीर की पैकिंग काफी अच्छी थी।
सैंपल लेकर लैब में भेजे, रिपोर्ट आने के बाद तस्वीर होगी साफ
भोपाल में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने मिलावट की आशंका में 26 जनवरी की रात 9 क्विंटल पनीर जब्त किया था। 27 जनवरी को सैंपल लैब में भेजे गए थे। संभवत: 28 जनवरी को लैब से रिपोर्ट मिल सकती है। इसके बाद तस्वीर साफ होगी। इससे पहले 21 जनवरी को 8 क्विंटल पनीर जब्त किया था। यह पनीर भी ग्वालियर के रास्ते मुरैना से आया था। मिलावट होने पर पनीर आदमपुर छावनी में गड्ढे खोदकर जमीन में दफन कर दिया था।
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