बैंगन की खेती भी नकदी फसल है। रोग लगने के बाद भी ये फसल सर्वाइव कर जाता है। बस, समय पर कीटनाशक डालने पड़ते हैं। बैंगन की फसल आठ महीने में तैयार हो जाती है। इस बार बैंगन के रेट 7 रुपए से 35 रुपए प्रति किलो की रही। 6 एकड़ में बैंगन लगाकर सात महीने में जबलपुर के प्रगतिशील किसान ने तीन लाख रुपए बचाए। किसान किस तरह अपने बैंगन की फसल को बीमारियों से बचाएं और खेती की तैयारी कब करें
फसल को रोग से बचाना जरूरी
प्रदेश में बारिश, ओले और इससे पहले पाला पड़ा था। बादल भी छाए हैं। धूप न होने से कई तरह के रोग लग रहे हैं। ऐसे में कीटनाशक का छिड़काव करें। फल छेदक, पत्ती छेदक, फंगस रोग लगने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में बाजार से या विशेषज्ञों की सलाह से कीटनाशक का स्प्रे कर दें। झुलसा, फड़ सड़न और पत्ते झड़ने पर ऐसे पौधों को निकाल दें। बाविस्टीन 50 डब्लूपी (2 ग्राम/लीटर) का स्प्रे कर दें।
बैंगन के आसपास टमाटर व शकरकंद के पौधे न लगाएं। पौधों की पत्तियां मुरझाकर नीचे की ओर झुकने पर ब्लीचिंग पाउडर 12-15 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाल दें। वहीं पीली पत्तियां होने पर संक्रमित पौधे को उखाड़ कर जला दें। लीफ हाेपर में पौधे झाड़ीनुमा हो जाता है। इसे भी उखाड़ कर जला दें। 0.1 प्रतिशत एकाटोक्स या फोलीडोल स्प्रे करें।
बैंगन के लिए जून में पौधे रोपें
बैंगन की खेती करने से पहले तरबूज और खरबूजा की खेती किया था। 6 एकड़ में मैने इसकी खेती की थी। इसके लिए ड्रिप इरिगेशन लगाया था। साथ ही, मल्चिंग कर रखी थी। इस कारण बैंगन की रोपाई में इस कारण खर्च कम आया था। जून में रोपाई कर दी थी। दो रुपए में एक पौधा मिला था। एक एकड़ में 6 हजार पौधे लगे थे।
पौधों से पौधों की दूरी 30 सेमी और रो की दूरी चार से पांच फीट रखनी होती है। दो एकड़ में ग्रीन बैंगन और चार एकड़ में भर्ता बैंगन (गोल) लगाया था। ड्रिप इरिगेशन में 80 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है। वहीं, मल्चिंग का 400 मीटर बंडल 1400 रुपए में आता है। 6 बंडल एक एकड़ के लिए चाहिए। इसे लगाने में तीन हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है। बैंगन से मार्च-अप्रैल तक उत्पादन होता है।
रोपाई के चौथे महीने से लगता है बैंगन
बैंगन में फल रोपाई के चौथे महीने में आ जाता है। अभी तक मैंने 7 रुपए से लेकर 35 रुपए प्रति किलो की दर से बैंगन बेचे हैं। ग्रीन की तुलना में भर्ता बैंगन की कीमत और मांग अधिक है। हालांकि उत्पादन में ग्रीन बैंगन अधिक फलता है। हर सात दिन बैंगन की तुड़ाई होती है। तीन दिन बीच में गैप देते हैं।
हर महीने 25 से 30 टन बैंगन निकलता है। जबलपुर मंडी में ही इसे बेचते हैं। साथ में ही 10 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। इनका काम स्प्रे करना, बैंगन की तुड़ाई, ग्रेडिंग करना, निराई, खराब बैंगन और पौधों को निकालने का काम करते हैं।
सिंचाई और खाद की ये है पड़ती है जरूरत
बैंगन में बारिश को छोड़कर सामान्य दिनों में हर दो दिन में करना पड़ता है। ड्रिप इरिगेशन से कम पानी में सिंचाई हो जाती है। इसी से खाद भी देते हैं। 19:19, डीएपी, यूरिया, पोटाश, फाॅस्फोरस, कैल्सियम, 0050, 05231, 12610 सहित खाद देना पड़ता है। इसका पूरा एक प्रोफाइल है। उसी के अनुसार एक दिन के अंतराल पर देना पड़ता है।
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