परिवहन विभाग में वीआईपी नंबरों के लिए प्रदेश में नई व्यवस्था शुरू की गई है। 10 बार नीलामी में नहीं बिकने पर उसे सामान्य नंबरों के साथ 7 हजार रुपए में बेचकर आरटीओ अपनी कमाई करेगा, जिससे पुराने वाहनों पर भी इसे लिया जा सकेगा। नए वाहनों में इसी के चलते पुराने नंबर भी चढ़ाए जा सकेंगे।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक किसी पुराने वाहन का वीआईपी नंबर वाहन को स्क्रैप करवाने के बाद नए वाहन पर लिया जा सकेगा, वहीं जो वीआईपी नंबर ऑनलाइन नीलामी में 10 बार शामिल होने के बाद भी नहीं बिक पाएंगे, उन्हें विभाग वीआईपी नंबर की सूची से बाहर कर देगा और ऐसे नंबरों को सात हजार रुपए में वाहन चालक खरीद सकेंगे। अभी इन नंबरों के लिए 10 हजार से लेकर 2 लाख की कीमत चुकाना पड़ती है। आरटीओ इसके लिए सिस्टम अपडेट कर रहा है।
सवा चार लाख वीआईपी नंबरों का कोई खरीदार नहीं
अभी 4.25 लाख से ज्यादा वीआईपी नंबर ऐसे हैं, जिन्हें लंबे समय से कोई खरीद नहीं रहा है। इनमें से आधे नंबर भी सात हजार में बिकते हैं तो विभाग को इनसे 150 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिल जाएगा। अकेले इंदौर में ऐसे नंबरों की संख्या 43 हजार से ज्यादा है। वीआईपी नंबरों को बेचने के लिए महीने में दो बार ऑनलाइन बोली लगती है। चूंकि, जानकार इसे लेकर कई खामियां भी बता रहे हैं।
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