मास्टर प्लान के निवेश क्षेत्र में 79 गांव शामिल किए हैं। इन गांवों के लैंडयूज निर्धारित किए गए हैं। अब जमीन मालिक प्रस्तावित लैंडयूज के हिसाब से ले-आउट प्लान पास करवा सकेंगे। निवेश क्षेत्र में ये गांव शामिल नहीं थे, तब जमीन मालिक मर्जी से अनुमति ले सकते थे।
हालांकि शासन ने गांवों का लैंडयूज फ्रीज करने में काफी देरी कर दी है। कुल 38 हजार 105 हेक्टेयर भूमि निवेश क्षेत्र में शामिल हुई है। इसमें करीब 32 फीसदी जमीनों पर जमीन मालिक पहले ही अनुमति ले चुके हैं। जमीनों का उपयोग तीन से पांच साल के लिए पहले ही निर्धारित करवा लिया है।
31 दिसंबर को सरकार ने 79 गांवों के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया। इसकी सूचना जिला प्रशासन, नगर निगम, संभागायुक्त कार्यालय को भी दे दी है। इन गांवों के लैंडयूज को अब मास्टर प्लान के प्रारूप में जोड़ा जाएगा। 2035 को ध्यान में रखकर मास्टर प्लान का रिव्यू किया जा रहा है।
व्यवस्थित बसाहट के उद्देश्य से मास्टर प्लान के निवेश क्षेत्र को और बढ़ाकर कुल 168 गांवों तक फैला दिया है। पिछले कई महीनों से शासन स्तर पर 79 गांवों के लैंडयूज की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन कोरोना काल, फिर हाई कोर्ट में याचिका होने के चलते यह काम समय पर नहीं हो पाया। इस देरी का फायदा जमीन मालिकों ने उठाया।
मास्टर प्लान के अभी आसार नहीं
79 गांव का लैंडयूज फ्रीज कर दिया गया है, लेकिन अभी मास्टर प्लान की तस्वीर साफ होने के आसार नहीं हैं। मास्टर प्लान को अंतिम रूप देने वाली जनप्रतिनिधियों की कमेटी का कोरम अभी अधूरा है। महापौर, सरपंच, जिला पंचायत अध्यक्ष, सदस्यों के पद रिक्त हैं। इस कमेटी के बिना प्रारूप जारी होने पर सुनवाई नहीं की जा सकती है। फिलहाल 1 जनवरी 2008 को प्लान के हिसाब से ही काम किया जाएगा।
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