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इंदौर में पाबंदियां तो जरूरी हैं ही:हमारी ये लापरवाही तो नहीं बढ़ा रही कोरोना संक्रमण, सावधानी बरतें... काबू में होगा कोरोना

 

इंदौर में इन दोनों कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर शुक्रवार से भले ही पाबंदियां और बढ़ा दी हो लेकिन अभी संक्रमण बेकाबू है। RRT (रैपिड रिस्पांस टीम) की माने तो इनमें अधिकांश की कांटेक्ट हिस्ट्री ही सामने आ रही है जबकि ट्रैवलिंग को लेकर अब खुद ही लोग पीछे हट रहे हैं। ट्रैवलिंग हिस्ट्री के कुछ ही केस आए हैं। फिर भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार नए वैरिएंट के होने से काफी तेज है। इसके पीछे मास्क नहीं लगाने जैसी लापरवाही तो है ही। साथ ही अन्य कारण भी है जिससे संक्रमण फैल रहा है।

हाल ही में जारी जिला प्रशासन की गाइडलाइन के तहत मास्क नहीं लगाने या नाक के नीचे लगाने पर भी 200 रु. जुर्माना वसूला जाएगा। होम आइसोलेशन टीमों के मुताबिक इन दिनों कांटेक्ट्र ट्रेसिंग के मामले ज्यादा मिल रहे हैं। यानी एक ही परिवार के दो-तीन लोग और उसके आसपास के परिवार। लसूडिया, पलासिया, राजेंद्र नगर जैसे क्षेत्र तो हॉट स्पॉट भी हैं। इसमें कई तरह के फैक्टर्स भी सामने आए हैं जो संक्रमण फैलने का कारण हैं और इसमें सीधे तौर पर लापरवाही सामने आ रही है। खास बात यह कि इस बार लोग वायरस का ट्रेंड ए सिम्टोमैटिक होने के कारण ज्यादा लापरवाह भी होते जा रहे हैं।

ये हैं कुछ खास कारण

- सोशल डिस्टेसिंग तो लगभग बंद ही है। 50% क्षमता वाली गाइडलाइन की मॉनिटरिंग का कोई सिस्टम नहीं है।

- पहली और दूसरी लहर में शुरू में और खासकर पीक के दौरान भी बार-बार साबुन से हाथ धोए जाते थे और सेनिटाइजर का उपयोग किया जाता था, अब पहले जैसा नहीं है।

- अभी कोई पॉजिटिव आता है तो उसके परिवार के कुछ लोग भी पॉजिटिव पाए जाते हैं। परिवार के बाकी लोगों का भले ही कहीं आना-जाना नहीं हुआ लेकिन इसके पूर्व एक-दूसरे के संपर्क में रहना और एक ही तौलिए या अन्य घरेलू सामान का सभी के उपयोग करने से भी संक्रमित होने की बात सामने आई है।

- पहली और दूसरी लहर में कंटेनमेंट जोन के चलते आसपास के लोगों को इसकी जानकारी रहती है अब यह सिस्टम नहीं होने से पता नहीं चल पाता।

- तब नगर नगर की गाड़ियों द्वारा दिन में दो बार संक्रमित क्षेत्र और उसके आसपास पर्याप्त सैनिटाइजर का छिड़काव होता था अब नहीं।

होम टेस्ट किट की स्टिक्स की भी लापरवाही

इधर कुछ समय पहले ICMR ने तीन होम टेस्ट किट्स कंपनियों को मंजूरी दी है जिसका उपयोग इंदौर में करीब दो माह से किया जाने लगा है। इसमें स्वाब लेने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली स्टिक्स भी टेस्ट करने के बाद बाहर फेंकने जैसे मामले मिले रहे हैं जबकि किसी भी प्रकार के बायो मेडिकल वेस्ट के लिए अलग सिस्टम होता है। हालांकि इसमें अभी किसी ने सीधे तौर पर शिकायत नहीं की है। इंदौर दवा बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के मुताबिक शुक्रवार को ही इस मामले में दवा विक्रेताओं को नई गाइडलाइन जारी हुई है। इसमें अब हर विक्रेता को एक-एक किट का हिसाब रखना होगा। किट की स्टिक्स का उपयोग के बाद वह बायो मेडिकल वेस्ट ही है, जिससे खुले में नहीं फेंका जा सकता। नए नियमों से अब इसमें कसावट आएगी।

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