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तिल और मकर संक्रांति:सृष्टि का पहला अन्न है तिल, एंटीऑक्सीडेंट और कैल्शियम जैसी जरूरी चीजें होती है इसमें

 

पुराणों में बताया गया है कि ब्रह्मा जी ने सफेद और काले तिल बनाएं। इसलिए तिल को सृष्टि का पहला अन्न माना जाता है। ये ही वजह है कि कोई भी यज्ञ-हवन, बिना तिल के पूरा नहीं हो पाता। ग्रंथों में बताया गया है कि मकर संक्रांति पर सफेद और काले तिलों को पानी में डालकर नहाना चाहिए। इस दिन हवन में तिलों की आहुति देना चाहिए। साथ ही शहद और तिलों से भरा हुआ मिट्‌टी का बर्तन दान करना चाहिए। धार्मिक नजरिये से तो तिल खास है ही इनका आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। काले और सफेद दोनों तरह के तिल का उपयोग पूजा-पाठ, व्रत और औषधि के तौर पर किया जाता है।

पद्म पुराण में तो कहा गया है कि तिल जिस पानी में होता है वो अमृत से भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाता है। साथ ही 5 अन्य पुराणों में भी तिल का महत्व बताया गया है। इसके अलावा आयुर्वेद के मुताबिक तिल के तेल से मालिश करने और तिल मिले हुए पानी से नहाने से बीमारियां खत्म होती हैं। वहीं, रिसर्च में बताया है कि तिल में एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम और कार्बोहाइड्रेट जैसी शरीर के लिए जरूरी चीजें भी होती हैं।

पद्म सहित 9 पुराणों में तिल का महत्व
विष्णु, पद्म और ब्रह्मांड पुराण में तिल को औषधि बताया है। इनके अलावा मत्स्य, पद्म, ब्रहन्नारदीय और लिंग पुराण में तिल से जुड़े कुछ व्रत बताए हैं। जिन्हें पाशुपत, सौभाग्य और आनंद व्रत कहा जाता है। साथ ही शिव पुराण में तिल दान करने का महत्व बताया गया है।
बृहन्नारदीय पुराण में कहा गया है कि पितृकर्म में जितने तिलों का उपयोग होता है उतने ही हजार सालों तक पितर स्वर्ग में रहते हैं। पद्म और वायु पुराण के मुताबिक श्राद्ध कर्म में काले तिलों का उपयोग करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। वहीं गरुड़ पुराण और बृहन्नारदीय पुराण का कहना है कि जिन पूर्वजों की मृत्यु अचानक या किसी दुर्घटना में हुई हो उनके लिए तिल और गंगाजल से तर्पण किया जाए तो मुक्ति मिलती है।

तिल से बढ़ती है बीमारियों से लड़ने की ताकत
आयुर्वेद का कहना है कि तिल मिले पानी से नहाने और तिल के तेल से मालिश करने से हडि्डयां मजबूत होती हैं। स्कीन में चमक आती है और मसल्स भी मजबूत होते हैं। तिल वाला पानी पीने से कई बीमारियां दूर होती हैं।
तिल पर हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि काले तिल में एंटीऑक्सीडेंट होता है। जिससे शरीर में नई कोशिकाएं और ऊतक बनने लगते हैं। इसके साथ ही तिल में कॉपर, मैग्नीशियम, ट्राइयोफान, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और रेशे बहुत ज्यादा होते हैं। ये सारी चीजें जोड़ों के दर्द दूर करती हैं और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद करती हैं।


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